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________________ प्रमेययोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३८ देशभेदेनायर्यादिकनिरूपणम् प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-दोपिकाः, सौत्रिकाः, काासिकाः, सूत्रवैतालिकाः भाण्डवैतालिकाः, नरवाहनिकाः, ये चान्ये तथाप्रकाराः । ते एते कर्माः ।४। अथ के ते शिल्पार्याः ? शिलार्या अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-तुन्नाकाः, तन्तुवायाः पट्टकाः [पट्टकारकाः] देयडाः, वरुट्टाः, छर्विकाः, काष्ठपादुकाकाराः, मुंजपादुकाकारा छत्रकाराः बच्छरा१, पृ-पु-च्छाकाराः, लेप्यकाराः, चित्रकाराः, शसकाराः, दन्तकाराः, भाण्डकाराः, जिज्झकाराः१, सेल्लकाराः, कोटिकाराः, ये चान्ये (कोरव्वा) कौरव कुल में उत्पन्न (से किं तं कम्मारिया?) कार्य कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा पण्णत्ता) अनेक प्रकार के कहे हैं (तं जहा) में इस प्रकार (दोसिया) दोषिक-दष्यक (सुत्तिया) सौत्रिक (कपासिया) कापासिक (मुत्तवेयालिया) सूत्रवैतालिक (भंडवेयालिया) माण्डवैतालिक (कोलालिया) कुलालकर्मी (नरवाहणिया) नरवाहनिक । (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य जो इसी प्रकार के हैं (से तं कम्मारिया) ये कार्य हुए। ___ (से किं तं सिप्पारिया ?) शिल्पार्य कितने प्रकार के हैं ? (अणेविहा पण्णत्ता) अनेक प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (तुण्णागा) दर्जी (तंतुवाया) जुलाहे (पट्टागा) पट्टकार (देयडा) दृति-मशक बनाने वाले (वल्हा) वट-पिच्छिक (छविया) चटाई आदि बनाने वाले (कटपाउयारा) खडाऊं बनाने वाले (झुंजपाउयारा) मूंज की पादका बनाने वाले (छत्तार।) छत्र बनाने वाले (वज्झार।) बहे बनाने वाले (पुच्छारा) प्रहार छ (उग्गा) SA (भोग) र (राइन्ना) २०४न्य (इक्खागा) ६ (णाया) सात (कोरव्या) औ२५ मा भेला (से कि त कम्मारिया) ४ाय 31 ४२ना छे ? (कम्मारिया) माय (अणेगविहा पण्णत्ता) भने ४२ ४द्या छे (तं जहा) तमाम प्रार (दोसिया) होषि-इध्य (सुत्तिया) सौत्रि (कापासिया) असि (सुत्तवेयालिया) सूत्र वैतानि (भंडवेयालिया) Hisales (कोलालिया) Bार भी (नरवाहणिया) न२वा नि४ (जे यावन्ने तहप्पगोरा). मन्य रे मावी ताछे (से त्तं कम्मारिया) मा भय थया। से किं तं सिप्पारिया) शिपाय ॐटया AIRन छ ? (अणेग विहा पण्णता) मने प्रारना ४ा छ (तं जहा) तमाम प्रारे (तुण्णागा) हल तिवाया) १९४२ (पट्टागा) ५४२ (देयडा) भ६४ मनावना२ (वरुट्टा) १३१ पि२७४ (छविया) २४ विगेरे मनाना२३ (कट्टपाउयारा) यापीये. मनापन। (मंजपाउयारा) मुनी पाहुये। नाचना२। (छत्तारा) छत्र मनावा (वज्झारा)
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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