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________________ ४४९ प्रमेयवोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३८ देशमेदेनार्यादिकनिरूपणम् साकेतं ६, कौशलो, गजपुरं७, च कुरुः सौरिकं८, कुशावर्तश्च । काम्पिल्य९, पाञ्चालः, अहिच्छत्रा१०, जङ्गलश्चैव ॥२॥ द्वारावती११, सौराष्ट्रः, मिथिला१२ विदेहश्च, वत्सः१३, कौशाम्बी नन्दिपुरं १४, शाण्डिल्यः, अदिल१५, पुरमेव मलयश्च ॥३॥ वैराटं१६, वत्सः, वरणा१७, [पुरी] अच्छ स्तथा मृतिकावत्ती१८ दशाणः । शौक्तिकावती१९, च चेदिः, वीत२०, भयं सिन्धुसौवीरः ॥४॥ मथुरा२१ च शूरसेनः, पापा२२ भङ्गश्च मासा २३, पुरिवर्तः। श्रावस्ती२४, च कुणालः, कोटि२५ वर्ष च लाटश्च ॥५॥ कंचनपुर (कलिंगा) कलिंग (वाणारसी चेव) बनारस नगरी (कासी य) और काशी देश (साएय) साकेत (कोसला) कौशल (गयपुरं च) गजपुर (कुरु) कुरु (सोरियं) सौरिक (कुसहा य) और कुशावर्त (कंपिल्लं) काम्पिल्य (पंचाला) पांचाल (अहिच्छत्ता) अहिच्छन्न (जंगला चेव) और जंगलदेश (बारवई) द्वारिका (सोरहा) सौराष्ट्र (मिहिल) मिथिला (विदेहा य) और विदेह (वच्छ) वत्स (कोसंबी) कौशाम्बी (नंदिपुरं) नन्दिपुर (संडिल्ला) शांडिल्य (भद्दिलपुर मेव) अद्दिलपुर (मलया य) और मलय (वइराड) वैराट (वच्छ) वत्स (वरणा) वरणा पुरी (अच्छा) अच्छ (तह) तथा (मत्तियावइ) मृत्तिकावती (दसण्णा) दशार्ण (सोत्तियवई य) और शुक्तिकावती (चेदी) चेदि (वीयअयं) वीतभय (सिंधुसोवीर।) सिन्धुसौवीर (महुरा य) और मथुर। (सूरसेणा) शूरसेन (पावा) पाया (भंगी य) और भंग (मास) मास (पुरिवटा) पुरिवर्त लित्ति) लिHि (बंगाय) मने देश (कंचणपुर) ४ यन५२ (कालिंगा) लि (वाणारसी चेव) मने मना२सनगरी (कासीय) अने. शीश (साएय) साडेत (कोसला) र (गयपुर च) २४५२ (कुरु) ३३ (सोरिय) सौ.२४ (कुसट्रा य) भने इर्शावत (कापल्ल) ५८ (पंचाला) ५ यात (अहिच्छत्ता) मडि (जंगला चेव) म. देश (बारवइ) २४५ (सोरदा) सौराष्ट्र (मिहिला) मिथिला (विदेहाय) मने विहेड (वच्छा) परस (कोसंबी) औशी (नंदिपुर) नही५२ (संडिल्ला) २॥य (भदिलपुरमेव) हिसपुर (मलया य) मने मसय (वइराड) वैराट (वच्छ) पल्स (वरणा) १२४ापुरी (अच्छा) २५२७ (तह्) तथा (मत्तिया वइ) भृत्तिती (दसण्णा) ४शा (मोत्तिय वईय) मने शुतिपती (चेदी) येही (वीयभय) पीतमय (सिन्धु सोवीरा) सिन्यु सौवी२ (महुरा य) मने मथु२॥ (सूरसेणा) १२सेन (पावा) पा॥ (भंगी य) मने म' (मास) भाम (पुरिवद्वा) पुस्वितः (सावत्थीय) भने श्रावस्ती (कुणाला) 3Y (कोडी वरिसं च) विष
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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