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________________ ४४६ प्रहापनासूचे रायगिह मगह, चंपा अंगा, तह तामलित्ति वंगा य । कंचणपुरं कलिंगा, वाणारसी चेव कासी य ॥१॥ साए य कोसला गय; पुरं च कुरु सोरियं कुसहा य। कंपिल्लं पंचाला, अहिछत्ता जंगला चेव ॥२॥ वौरवई सोरट्टा, मिहिले विदेहा य वच्छ कोसंवी । नंदिपुर संडिल्ला, भदिलैपुरमेव मलया य ॥३॥ वैइराड वच्छ वरणा, अच्छा, तहमैत्तिया वइ दसण्णा। सोत्तियेवई य चेदी, वीयभयं सिंधुसोवीरा ॥४॥ मेहुरा य सूरसेणा, पौवा भंगी य मार्सपरिवहा । सावत्थी य कुणाला, कोडी वैरिसं च लाटा य ॥५॥ सेयविया वि य णयरी, केकय अद्ध च आरियं भणियं । इत्थुप्पत्ती जिणाणं, चक्कीणं रामकहाणं ॥६॥ से तं खेत्तारिया ॥१॥ से किं तं जाइ आरिया ? जाइ आरिया छविहा पण्णत्ता, तं जहा-अंबटा य १, कलिंदा य २, विदेहा ३, वेदंगाइया ४। हरिया५ चुंचुणा६ चेव, छ एया इन्भजाईओ॥१॥ से तं जाइ आरिया २। से किं तं कुलारिया ? कुलारिया छव्विहा पण्णत्ता तं जहा-उग्गा? भोगा२ राइन्ना३ इक्खागा४ णाया५ कोरबाद। से तं कुलारिया।३॥ से किं तं कम्मारिया ? कम्मारिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-दोसिया, सुत्तिया, कप्पासिया, सुत्तवेयालिया, भंडवेयालिया, कोलालिया, नरवाहणिया, जे यावन्ने तहप्पगारा । से तं कम्मारिया।४।से किं तं सिप्पा रिया? सिप्पारिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-तुण्णगा, तंतु५. वाया, पट्टागा, देवडा, वरुट्टा, छव्विया, कट्टपाउयारा, मुंजपा
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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