SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 392
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ · प्रज्ञापनासूत्रे शस्त्रिकमत्स्याः, लम्भनमत्स्याः पताकातिपताका, ये चान्ये तथाप्रकाराः, ते एते मत्स्याः १ । अथ के ते कच्छपाः ? कच्छपा द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाअस्थिकच्छपाश्च१, मांसकच्छपाश्च२ ते एते कच्छपाः . २ । अथ के ते ग्राहा: ? ग्राहाः पञ्चविघाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - दिली१, बेटकाः २ मूर्धजाः ३, पुलका : ४, सीमाकाराः ५, ते एते ग्राहाः ३ । अथ के ते मकराः ? मकरा द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, नक्र ( तंदुलमच्छा) तन्दुल मत्स्य (कणिक्कामच्छा कणिक्का मत्स्य (सालिसत्थियामच्छा) शलिश स्त्रिक मत्स्य (लंमणमच्छा) लंभन मत्स्य (पडागा) पताका (पडागाइ पडागा) पताकातिपतागा (जे यावन्ने तहष्पगारा) इसी प्रकार के जो अन्य हैं । ( से तं मच्छा) यह मत्स्यों की प्ररूपणा हुई ( से किं तं कच्छभा ? ) कच्छप कितने प्रकार के हैं ? ( दुविहा पण्णत्ता) दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (अट्ठिकच्छभा य मंसकच्छा य) अस्थिकच्छप और मांसकच्छप (से त्तं कच्छभा) यह कच्छपों की प्ररूपणा हुई । ३६८ ( से किं तं गाहा ?) ग्राह कितने प्रकार के हैं ?) (पंचविहा पण्णत्ता) पांच प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (दिली) दिली ( वेढगा) वेटक (मुद्दया) सृर्धज (पुलया) पुलक (सीमागारा) सीमाकार ( से तं गाहा) यह ग्राह की प्ररूपणा हुई । (से किं तं मगरा ?) मकर कितने प्रकार के हैं ? (मगरा दुविहा तिभितिभि गीला (णका) 1 3 (तंदुलमच्छा) तन्हुस भत्स्य (कणिक्का मच्छा ) अधि४४ मत्स्य (सालिसत्थिया मच्छा ) शास शास्त्रि भत्स्य (लंभणमच्छा) सलन मत्स्य (पडागा ) पत्रा (पडागाइ पडागा ) पता अतियतागा (जे यावन्ने तहपगारा) शेवी लतना ने मीन छे (से त्तं मच्छा) मा मत्स्योनी अशा थ प्रहारना छे ? (कच्छभा) २छ्यो जहा) तेथे या प्रारे छे (अट्ठि अने भास २४५ (सेत्तं कच्छभा) ( से किं तं कच्छभा) १२० डेटा ( दुविहा पण्णत्ता ) मे अक्षरना उद्या छे (तं कच्छभा य मंस कच्छमाय) अस्थि ४२० આ કચ્છપેાની પ્રરૂપણા થઇ (से किं तं गाहा ) था डेटा अक्षरना छे ? ( गाहा) आहे! (पंच विहा पण्णत्ता) पांय प्रहारना उद्या छे (तं जहा) तेथे या अहारे छे (दिली) हिसी (वेढगा) वेढड (मुद्धया) भूर्ध ४ ( पुलया) पुस (सीमागारा) सीभार (से तं गाहा) मा ग्रानी प्रयाशा थ ( से किं तं मगरा ) भधर डेटा अारना है ? (मगरा दुविहा पण्णत्ता)
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy