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________________ प्रमेयवाधिनी टीका प्र. पद १ शू.१९ समेदवनरपतिकायिक निरूपणम् ૨૩૭ छाया - अथ के ते हरिताः [वस्था: ] ? हरिता अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा'अद्यावरोह १ न्युदानंर हरितकं३ तथा तान्दुलेचक दृष्४ च । वस्तुलं५ पर्वकं६ मंर्जाtatt fadice पाल्यङ्की ९ ||२८|| दकपिप्पल्ली १० च दव ११ सौत्रिक १२ - शाकं १३ तथैव माण्डूकी १४। मूलकं१५ सर्पप: १६ अम्लं १७ साकेतं १८ जीवा- तर्क १९ चैव ॥२९॥ तु२० कृष्ण२१ उदार: २२ फानेयकम् २३ आर्यक २४ भूतनक२५| वारकं२६ दामनक२७ मरुचक २८ शतपुप्पी२९ इन्दीवरं ३० च तथा ||३०||' यानि चान्यानि तथाप्रकाराणि । तान्येतानि हरितानि ॥ ९ ॥ · शब्दार्थ - (से किं तं हरिया ) ? हरित के कितने भेद कहे हैं ? (अणेगविहा) अनेक नेत्र (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (अजोसिंह) अद्यावरोह, (चोडाणे) व्युदान, (हरितण) हरितक, (तह) तथा : (तंदुलेज्जगतणे य) और तान्दु देयक तृण, (बत्थुल) वस्तुल, (पोरग) पर्वक, (मज्जारयाइ) सारिकादि (बिल्ली घ) और बिल्वी (पालक) पाका, -- (दगपिप्पली) दकपिपली, (द०वी) दर्जी (य) और (सोत्तिय ) सौत्रिक (साए) शार्क, (तहेब) और (मंडुक्की) माण्डूकी, (मूलग) मूलंक, ( सरिसव) सरसौं, (अंबिल) अम्ल, (साएय) साकेत, (जियंतिए) जीवान्तक (चेव) और ( तुलस) तुलसी, (कव्ह ) कृष्ण, (उराले) उदार, (काज्जए ) फानेयक, (अज्जए य) और आर्षक, (भूसगए) भूसनक, (वारग) वारकं, ( दमणग) दामन ( मरुयण) मरुचक ( सतपुष्पी) शतपुष्पी (इंदीवरे) sairat (a) और ( तहा) तथा (जे यावन्ने तहपगारा) अन्य जो शब्दार्थ - (से किं तं हरिया) हरितना डेंटला लेह छे ? (हरिया) हरितना (अणेगविहा) मने लेह (पण्णत्ता) ह्या छे (तं जहा ) तेथे आ रीते छे (अज्जोरुह) अद्यावरोड (वोडाणे) व्युद्वान (हरितगं) (रित ( तह) तथा ( तंदुलेज्जय तणे य) भने तन्दुोय, तृशु (वत्थुल ) वस्तुस ( पोरग ) पत्र ४ ( मज्जारयाइ) भा२४हि (बिल्लीय) भने मिट्टी (पालक्का) पाया. (fra) & funucil (szefi) calo (7) mà (Gifag) uillas (g) शा ( तहेव ) मने (मंडुक्की) भडूडी (मूलग) भुस ( सरिसव ) सरसव (अंबिल) अभ्स (साएय) सात (जियंतिए) लवान्त (चैत्र) भने ( तुलस) तुलसी (कण्ह ) प्णु (उगले) ९४२ (फाणेज्जए ) ईएएस (अज्जए य) ने आर्य (सूसणए) लूतन (बारग) वा२४ ( दमणग) इभन (मरुयग) भय ( सतपुरफी) शत पुष्पी (इदीवरे) हिवर (य) मने (तो) तथा (जे यावन्ने तहप्पगारा जीन ने भाषा प्रारना छे ( से तं हरिया) मा हरित
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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