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________________ २६४ प्रज्ञापनासूत्रे ध्वपि गुल्मपदवाच्येषु केचन चम्पक- कुन्दसहाजातीयाः प्रसिद्धा एव सन्ति, जीती नीतिका प्रभृतयस्तु देशविशेषे प्रसिद्धाः गुल्माः स्वयमेवोन्नेयाः प्रकृतं गुल्ममुपसंहरणाह - ' से तं चुम्मा' ते एते पूर्वकाः पञ्चविंशतिभेदाः गुल्माः प्रज्ञप्ताः, शेष वक्तव्यता पूर्ववदेव बोध्या । मूलम् - से किं तं लयाओ ? लगाओ अणेगविहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पउमलेया गागल्या असोग चंपगलया य चूयलया । वणलय वासंतिया, अइमुत्तय कुंदं सामलया ॥ १९६ ॥ जे याबन्ना तहप्पगारा | से तं लयाओ ||४|| " छाया-अथ कास्ता लताः ? लता अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - 'पद्मलता १ नागलता२ अशोक३ चम्पक४ लते च चृतलता५ । बनता६ वासन्तीलता७ अतिमुक्तक ८ कुन्द ९ श्याम १० लता: । १६ । यावान्यास्तथा प्रकाराः ता एता लता: ४ । देशविशेष में भी प्रसिद्ध हैं जिन्हें स्वयं ही समझलेना चाहिए | उपसंहार करते हुए कहते हैं- ये पच्चीस गुल्म यहां बतलाए हैं, शेष कथन पूर्ववत् हो समझना चाहिए ||२२|| शब्दार्थ - ( से किं तं लयाओ) लताएं कितने प्रकार की हैं (अगविहा) अनेक प्रकार की (पण्णत्ताओ) कही हैं (तंजा) वे इस प्रकार ( पउमलया) पद्मलता, (जागलया) नागलता, (असोग) अशोकलता, (चंपगलया य) और चम्पकलता, (चूपलया) चूतलना, (वणलय) वनलता, ( वासंतिलया) वामन्तीलता, (अमुत्त) अतिमुक्तकलता (कुंद) कुंदलता, (सामलया) श्यामलता, (जे यावन्ना तहपगारा) अन्य जो भी इसी प्रकार की हैं । (सेतं लयाओ) यह लताओं की प्ररूपणा हुई ||२३|| પ્રકારના ગુલ્મ થાય છે. તેએમાથી પણ કેટલાક પ્રસિદ્ધ છે. અને કેટલાક દેશ વિશેષમાં પ્રસિદ્ધ છે. જેને જાતેજ સમજી લેવા જોઇએ. ઉપસાર કરતા કહે છે—આ પચીસ શુક્ષ્મા અહી મતાન્યા છે. શેષ ગ્રંથન પૂર્વવત્ જ સમજવુ જોઇએ. शब्दार्थ - (से किं तं लयाओ) बताओ डेटा प्राश्नी छे ? ( अणेगविहाआ ) मनेड प्रहारनी (पण्णत्ताओ) उड़ी छे (तं जहा) तेथे आा अक्षरे छे (पउमलयो) पद्मसता (णागलया) नागसता (अमोगलया) अशोसता (चंपगलया य) ये पता (चूयलया) माभ्रसता भूतसती ( वणलया) पनझता ( वासंतिलया) वासन्तीयता ( अइमुत्तलया य) अति भुक्तवता (कुंड) ढलता ( सामलया ) श्यामलता (जे यावन्ना तहृप्पगारा) अन्य ने अभावी लतनी है (सेत्त लयाओ) भा लागोनी प्र३या एडी छे.
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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