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प्रतापनासूत्रे १२॥५॥ न्यग्रोधः १३ नन्दिवृक्षः१४ पिप्पली १५ गतरी १६ प्लक्षवृक्षश्च १७॥ कादुम्वरी१८ कुरुतुम्भरि १९ बोद्ध व्यः देवदालिश्च २०॥६॥ तिलकः २१ लबकः२२ छत्रोपगः २३ शिरीप २४ सप्तपर्ण २५ दधिपाः २६ । लोध्र २७ धव २८ चन्दना ६९ऽर्जुन ३० नीपाः ३२ कुटजः ३२ कदरवच ३३ ॥७॥ ये चान्ये तथाप्रकाराः, एतेषां खलु मूलान्यपि असंख्येय जीवशानि, कन्दा अपि स्कन्धा अपि, पत्राणि प्रत्येकजीवकानि, हुप्पाणि अनेकजीवकानि, फलानि वहुवीजकानि । ते एते बहुवीजकानि । ते एते बहुधीजकाः ते एते वृक्षाः १ । (माउलिंग) मातुलिंग (बिल्ले य) और (बिल्व आमलग) आंवला (फणिस) पनस (दालिम) दाडिम (आलो?) अश्वत्थ (उंबर) उदुम्बर (वडेर य) वट (णग्गोह) न्यग्रोध (णंदिस्व खे) नन्दिवृक्ष (पिप्परी) पिप्पली (सयरी) शतरी (पलुव खवखे) प्लक्षवृक्ष (य) और (काउंवरि) कादुम्बरि (कुत्थंभरि) कुस्तुम्भरि (चोदच्छा) जानना चाहिए (देवदाली य) देवदालि (तिला) तिलक (लडए)लकुच (छत्तोह) छत्रोपग (सिरीस) शिरीष (सत्तवन्न) सप्तवर्ण (दहिवन्ने) दधिपर्ण (लोह) लोध्र (धव) धव-धौ (चंदण) चन्दन (अज्जुण) अर्जुन (णीमे) नीम (कुडए) कुटज (कयंवे य) कदम्ब (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य जो इसी प्रकार के हैं (एएसिं) इनके (मृला वि) मृल सी (असंखेज्जजीवया) असंख्यात जीवों वाले (कंदा वि) कन्द भी (खंधा वि) स्कंध भी (साला वि) शाल भी (पन्ता) पत्ते (पत्तेयजीवया) एक जीव वाले (पुप्फा) पुष्प (अणेगजीवया) अनेक जीवों वाले (फला) फल (बहुवीयगा) बहुत । (अंबाडग) 49039L (माउलिंग) भातुमि (विरले य) मन मि (आमलग)
मामा (फणस) एस (दाडिम) । (ओसोत्थे) मश्वत्य (उबर) हुम्मर (वडेर य) व (णग्गोध) न्यग्रोध (ण दिरुक्खे) नन्ति वृक्ष (पिप्परी) [५५री (सयरी) शता (पिलुख्खरुक्खे) सक्षवृक्ष (य) मने (काउ वरि) हुमरी (कुत्थुभरि) ४२तुमरी (वोद्धव्वा) तवा नसे.
___ (हेवदालीय) हेपाली (तिलए) तिa४ (लउए) सदा (छत्तोह) छत्री (सिरीस) शिरीष (सत्तवण्ण) ससप (दहिवन्नो) धिपणु (लोद्ध) सोन (धव) धावा (चंदण) यन. (अज्जुण) Adन (णीमे) नाम (कुडह) सुट०४ (कयंवे य) ४४५ (जे यावन्ने तहप्पगारा) oilnad Pावा प्र४२ना छ. , (एएसिं) तेमानी (मूलावि) भूण पy (असंखेज्जजीवया) मसभ्यात
पा (कंदा वि) ४६ ५५१ (खंधा वि) २४५ ५ (साला वि) 1 पशु (पत्ता) पाई। (पत्तेय जीवा) मे से 4 वाणा (पुप्फ) पु०५ (अणेगजीवा य) भने । ॥ (फला) ३५ (बहुवीयगा) धावा (से त्तं रुक्खा )