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________________ २३६ प्रशापनासूत्र वायुकायिका द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-पर्याप्तकसूक्ष्मवायुकायिकाच, अपर्याप्तकसूक्ष्मवायुकाश्च । ते एते सूक्ष्मवायुकायिकाः । अथ के ते वादरवायुकायिकाः ? बादरवायुकायिका अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-प्राचीनवातः१, प्रतीचीनवातः२, दक्षिणवातः ३, उदीचीनयातः ४, जलवातः ५, अधोवातः ६, तिर्यग्वातः ७, प्रकार के हैं ? (दुविहा) दो प्रकार के (पन्नत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (सुहुमवाउकाइया य) सूक्ष्मवायुकायिक और (पायर वाउ. काइया य) बादर वायुकायिक (से कि तं सुहुमवाउकाइया) सूक्ष्म वायुकायिक कितने प्रकार के हैं (दुविहा) दो प्रकार के हैं (तं जही) पे इस प्रकार (पज्जत्तगहुमवायुकाइया य) पर्याप्त सूक्ष्म वायुकायिक और (अपज्जत्तगसुहमवायुकाइया य) अपर्याप्त सूक्ष्म वायुकायिक (से तं सुहुमवाउकाइया) यह सूक्ष्म वायुकायिकों की प्ररूपणा हुई (से किं तं बायरवाउकाइया) अब बादर वायुकायिक कितने प्रकार के हैं ? (बायरवाउकाइया) बाद वायुकायिक (अणेगविहा) अनेक प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (पाईणवाए) पूर्व दिशा से आई वायु (पडीणवाए) पश्चिमी हवा (दाहिणवाए) दक्षिणीहवा (उदीणवाए) उत्तरी हवा (उड्ढवाए) ऊपर उठने वाली वायु (अहोवाए) तेमा मा शत छे (सुहुमवाउकाइया य) सूक्ष्म वायुायि: मने (पायरवाउ काइया य) मा४२ वायुय४ (से किं तं सुहुमवाउकाइया) सूक्ष्म वायुयि टखा २ना छे (सुहमवाउं. काइया) सूक्ष्म वायुय४ ७ (दुविहा) मे ना ४९स छ (तं जहा) तसा । अ॥२ छ १ (सुहुमवाउकाइयाय) सूक्ष्म वायु५४ मने (वायरवाउकाइया य) भा६२वायुयि (से कि त सुहुमवाउयाइया) सूक्ष्म वायुयोडेटा २छ ? (सुहमवाउकाइया) सूक्ष्म वायुायि४ (दुविहा) में माना (पण्णत्ता) ४ा छे (तं जहा) ते माप्रमाणे छे. (पज्जत्तग सुहुमवाउकाइया) पर्याप्त सूक्ष्म वायुयिs न्मने (अपज्जत्तग सुहुमवाउकाइया य) अपर्याप्त सूक्ष्म पायुायि४ (से तं सुहुमवाउकाउया) मा सूक्ष्म वायुायिनी प्र३५९। (से कि त वायरवाउकाइया) ॥६२ वायुयि४ टक्षा प्रा२ना छ ? (वादरवाउकाइया) ॥४२ पायु४ि (अणेगविहा) मने प्रारना (पण्णत्ता) ४ छे (तं जहा) मा २ रे छ (पाईण वाए) पू हाथी मावस ५वन (पडीणवाए) पश्चिमनी या (दाहिणवाए) दक्षिानी डा (उठीणवाए) उत्तरनी हुवा (उढवाए) ७५२ ४ा पाणी पा (अहोवाए) नीय ती ॥ (तिरियवाए) ती२छी हुवा (विदिसीवाए)
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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