SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -- १४८ अनापनासूत्रे - ये संस्थानतो वृत्तसंस्थानपरिणता स्ते वर्णतः कालवर्णपरिणता अपि१, नीलवर्णपरिणता अपि२, लोहितवर्णपरिणता अपि३, हारिद्रवर्णपरिणता अपि४, - शुक्लवर्णपरिणता अपि५। गन्यतः युरभिगन्धपरिणता अपि?, दुरभिगन्धपरिणता अपि २। रसतरितक्तरसपरिणता अपि१, कटुकरसपरिणता अपि२, कपायरसपरिणता अपि३, अस्लरसपरिणता अपिट, मधुररसपरिणता अपि५। स्पर्शतः कर्कशस्पर्शपरिणता अपि१, मृदुकस्पर्शपरिणता अपिर, गुरुकापरिणता अपि३, - (जे) जो (संटाणओ) संस्थान से (वसंठाणपरिणया) वृस संस्थान परिणाम वाले हैं (ते) वे (वण्णओ) वर्ण से (कालवण्णपरिणया वि) काले वर्ण परिणाम बाले भी हैं (नीलवण्णपरिणया वि) नीले वर्ण परिणाभवाले भी हैं (लोहियवाणपरिणया वि) लालवर्ण परिणाम वाले भी हैं (हालिदवपणपरिणया वि) पीले वर्ण परिणाम वाले भी हैं (सुस्किल्लवण्णपरिणया वि) सफेद वर्ण परिणामवाले भी हैं। (गंधओ) गंध से (सुन्भिगंधपरिणया वि) सुगंध परिणाम वाले भी हैं (दुन्मिगंधपरिणया वि) दुर्गध परिणाम वाले भी हैं। ___(रसओ) रस से (तित्तरसपरिणया वि) मिक्त रस परिणाम वाले भी हैं (कडुयरसपरिणया वि) कटुक रस परिणाम वाले भी हैं (कसायरसपरिणया चि) कषाय रस परिणाम वाले भी हैं (अंपिल-रसपरिणया वि) खट्टे रस परिणाम वाले भी हैं (महुररसपरिणया वि) मथुररस परिणाम वाले भी हैं। (फासओ) स्पर्श से (कक्खडफासपरिणया वि) कर्कश स्पर्श (जे) या (संठाणओ) संस्थानथी (बट्टसंठाणपरिणया) वृत्त संस्थान परिणामवाण छ (ते) तसा (वण्णआ) पथा (कालवण्णपरिणया वि) या गना परिणाभा पर छे (नीलवण्णपरिणया वि) सीसा गाना परिणाम पmi by छ (लोहियवण्णपरिणया वि) सास गना परिणामा ५५ छ (हालिदवण्णपरिणया वि) पीजा २ना परिणामवाण छ (सुकिल्लवण्णपरिणया वि) सन २ना परिणामा ५ छे. ___ (गंधओ) यी (सुन्भिगंधपरिणया वि) सुमध परिणामवाणi ५५ छ (दभिगंधपरिणया वि) हुन्धि परिणाम पy छे. (रसओ) २सथी (तित्तरसपरिणया वि) ति: २स परिणामवाण ५४ छ (कडुयरसपरिणया वि) ४३५॥ २सन परिणामवाणा ५५ छ (कसायरसपरिणया वि) तु। २सन परियामा ५५ छ (अंविलरसपरिणया वि) माटा रसना पशिशुभवाणां पY छ (महुररसपरिणय वि) मधु२२सना परिणामवाणा ५ छ. (फासओ) २५Nथी (कक्खडफासपरिणया वि) ५४ २५ परिणामani
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy