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________________ प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.८ रूपी अजीव प्रज्ञापना १११ णता अपि२। रसतस्तिक्तरसपरिणता अपि१, कटुकरसपरिणता अपि १, कषायरसपरिणता अपि३, अम्लरसपरिणता अपि४, मधुररसपरिणता अपि ५। स्पर्शतो गुरुकस्पर्शपरिणता अपि१, लघुरुस्पर्शपरिणता अपि२, शीतस्पर्शपरिणता लालवर्ण परिणामवाले भी (हालिद्दवण्णपरिणया वि) पीले वर्ण परिणामवाले भी (सुकिल्लवण्णपरिणया वि) श्वेतवर्ण परिणाम वाले भी होते हैं । (गंधओ) गंध की अपेक्षा से (सुभिगंधपरिणया वि) सुगंध परिणाम वाले भी (दुभिगंधपरिणया वि) दुर्गंध परिणाम वाले भी होते हैं । (रसओ) रस की अपेक्षा से (तित्तरसपरिणया वि) तिक्तरस परिणाम वाले भी ( कडुयरसपरिणया वि) कटुकरस परिणाम वाले भी ( कसायरसपरिणया वि) कषायरस परिणाम वाले भी (अंबिलरसपरिणया वि) आम्ल - खट्टे रस परिणाम वाले भी (महुररसपरिणया वि) मधुररस परिणाम वाले भी होते हैं । (फासओ) स्पर्श की अपेक्षा से (गरुयकासपरिणया वि) गुरु स्पर्श परिणमनवाले भी ( लहुयफासपरिणया वि) लघु स्पर्श परिणमनवाले भी (सीयफासपरिणया वि) शीत स्पर्श परिणमनवाले भी (उसि फासपरिणया वि) उष्ण स्पर्श परिणमनवाले भी (शिद्धफासपरिणया वि) स्निग्ध स्पर्श परिणमनवाले भी ( लुक्खफासपरिणया वि) रूक्ष स्पर्श परिणमनवाले भी होते हैं । atni पशु छे. (हालिदवण्णपरिणयो वि) चीजा रंगना परिणाभवाणजां पशु छे. (सुकिल्लवण्णपरिणया वि) श्वेत वा परिणाभवानां पशु मने छे. (गंधओ) गंधनी अपेक्षाये (सुभिगंधपरिणया वि) सुगंधपरिणामवाणां | होय (दुभिगंधपरिणया वि) दुर्गध परिणाभवानां पशु भने छे. (रसओ) रसनी अपेक्षाओ (तित्तरसपरिणया वि) तिक्त रस परिणाभवाणां होय छे, (कडुयरसपरिणया वि) वा रसना परिणाभवानां पशु होय छे. ( कसायरसपरिणया वि) उषाय रसना परिणाभवाणां पशु होय छे. (अंबिलरस परिणया वि) पाटा रसना परिणाभवाणां पशु होय छे. (महुररसपरिणया वि) મધુર રસ પિરણામવાળા પણ હેાય છે. (फासओ) स्पर्शनी अपेक्षाये (गरुयफासापरिणया वि) गु३र्श परिणाम वाजा पशु (लहुयफासपरिणया वि) सधु स्पर्श परिणामवाणां पशु (सीयफास परिणया वि) शीत स्पर्श परिणामवाणां प ( उसिणफासपरिणया वि) उष्णु स्पर्श' परिणाभवाजा पशु (णिद्धफासपरिणया वि) स्निग्ध स्पर्श परिणाभवाणां | (लुक्खफासपरिणया वि) ३क्ष स्पर्श परिणाभवानां पशु भने छे.
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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