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जीवाभिगमने पुष्करिण्यः प्रज्ञप्ता विशुताः, 'ताओ पुक्खरिणीओ' ताः खलु पुष्करिण्यः, 'अद्धतेरस जोयणाई आयामेणं'-सार्द्ध द्वादश योजनानि दैर्येण 'सक्कोसाई छ जोय णाई विक्खंभेणं' पडूयोजनानि क्रोशैकेनाधिकानि विष्कम्भेण विस्तारेण 'दस जोयणाई उब्वेहेणं-दश योजनान्युद्वेधेन, 'अच्छाओ सहाओ पुक्खरिणी वण्णयो' अच्छाः श्लक्ष्णाः यावत् पुष्करिणी वर्णकः कर्तव्यः ताः खलु पुष्करिण्यः 'पत्तेयं पत्तेयं-प्रत्येकैकम्, 'पउमवरवेझ्या परिक्खित्ताओ' पद्मवरवेदिकया परिवेष्टितास्तास्ताः, 'पत्तयं पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्ताओ'-प्रत्येकं प्रत्येकं वनपण्डा परिक्षिप्ताः, 'वण्णओ जाव पडिरूवाओ'-अत्र पद्मवरवेदिकावर्णनं वनपण्ड'तेसिणं महिंदझणाणं पुरओ तिदिसि तओ नंदाओ पुक्खरिणीओ पण्णत्ता' इन माहेन्द्रध्वजाओं के आगे पूर्व दिशा दक्षिणदिशा और उत्तरदिशा इन तीन दिशाओं में नन्दा नामकी तीन पुष्करिणियां हैं। वे पुष्करिणियां 'अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं सकोसाइंछ जोयणाई विक्वंभेणं' १२॥ योजनकी लम्बी है और सवा छ योजन की चौडी है । 'दस जोयणाई उब्वेहेणं' तथा इनकी गहराई १० योजन की है 'अच्छाओ सहाओ पुक्खरिणी वण्णओ' यहां पूर्व की तरह इन पुष्करिणियों का वर्णन 'ये आकाश और स्फटिक की तरह निर्मल है श्लक्ष्ण-चिकनी है। इत्यादि रूप से कह लेना चाहिये 'पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेझ्या परिक्खित्ताओ' ये प्रत्येक पुष्करिणियां पद्मवरवेदिकाओं से परिवेष्टित है। 'पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरीक्खित्ताओ' पद्मवरवेदिकाएं वनखण्डों से परिवेष्टित है । 'वण्णओ जाव पडिरूवाओ' यहां इन पद्मवरवेदिकाओं का और वनखण्डों का वर्णन नंदाओ पुक्खरिणीओ पण्णत्ता' २. भाउन्द्र मानी माग पूहिशा, हक्षिण દિશા, અને ઉત્તર દિશા એ ત્રણ દિશાઓમાં નંદા નામની ત્રણ પુષ્કરિણીચો છે. मे पु०४२॥ यो 'अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं सक्कोसाई छजोयणाई विक्खंभेणं १२॥ સાડા બાર એજનના વિસ્તારવાળી છે. અને સવા છ જનની પહેળી છે. 'दस जोयणाई उब्वेहेणं' तथा तेनी १० ४स योनी छे. 'अच्छाओ सण्हाओ पुक्खरिणी वण्णओ' मडीया पडसानी म २मा ४ाणयानु वाणुन તે આકાશ અને સ્ફટિક મણીયેના જેવી નિર્મળ છે. શ્લફણ ચિકણી છે. વિગેરે
Rथी ४श से 'पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेइया परिक्खित्ताओ' स ४२४ पुष्य । ५न५२ वेक्षिामाथी पीटायटी छ. 'पत्तेयं पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्ताओं से ४२४ Y४Reीयो वनमाथी ली जायेकी छे. 'वण्णओ जाव पडिरूवाओ मडीया