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________________ ॥ श्री वीतरागाय नमः ॥ श्री जैनाचार्य-जैनधर्मदिवाकर पूज्य श्रीघासीलाल व्रतिविरचितया प्रमेयद्योतिकाख्यया व्याख्यया समलङ्कृतम् हिन्दी-गुर्जरभाषानुवादसहितम् ॥श्री-जीवाभिगमसूत्रम्॥ (तृतीयो भागः) पुनः वनषडमधिकृत्याऽह-'तस्स णं वणसंडस्स' इत्यादि । मूलम्-तस्स णं वणसंडस्स तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे खुड्डा खुड्डियाओ वावीओ पुक्खरिणीओ गुंजालियाओ दीहियाओ सरसीओ सरपंतियाओ सरसरपंतीओ बिलपंतीओ अच्छाओ सहाओ रययामयकूलाओ वइरामयपासाणाओ तव. णिजमयतलाओ वेरुलियमणि फालियपडलपच्चोयडाओ णवणीयतलाओ सुवण्ण सुज्झरययमणि वालुयाओ सुहोयारा सुउत्तराओ णाणामणि तित्थ सुबद्धाओ चार चउकोणाओ समतीराओ आणुपुत्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजलाओ संग्णपत्तभिसमुणालाओ बहुउप्पलकुमुयणलिणसुभगसोगंधियपोंडरीयसयपत्तसहस्सपत्तफुल्लकेसरोवइयाओ छप्पयपरिभुजमाणकमलाओ अच्छविमलसलिलपुण्णाओ परिहत्थभमंतमच्छकच्छभ अणेगसउणमिहुणपरिचरियाओ पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेदिया परिक्खित्ताओ पत्तेयं पत्तेयं वणसंड परिक्खित्ताओ, अप्पेगइयाओ आसवोदाओ अप्पेगइयाओ वारुणोदाओ अप्पेगइयाओ खीरोदोओ अप्पेगइयाओ घओदाओ अप्पेगइयाओ खोदोदाओ अमयरसससरसोदाओ, अपेग्गइयाओ अप्पेगइयाओ पगतीए उदगरसेणं पण्णत्ताओ पासाईयाओ४, तासिणंखुड्डियाणं वावीणं जी०१
SR No.009337
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size117 MB
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