________________
जौवाभिगमसूत्रे
१०२४
शतानि पञ्च च शतानि क्रमशः प्रज्ञप्तानि । 'सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो अभितरिसाए परियाए देवाण केवई कालं ठिई पन्नत्ता ? एवं मज्झिमयाए बाहिरिया वि' हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराजशक्रस्याभ्यन्तरिकायां पर्षद देवानां स्थितिः कियन्तं कालं कथिता एवं माध्यमिकायां - वाह्य (यामपि प्रश्नः ? भगवानाह - 'गोयमा ! सक्क्स्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए पंचपलिओ माई ठिई पन्नता, मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलिओ माई ठिई पण्णत्ता, वाहिरियाए परिसाए देवाणं तिन्नि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता' हे गौतम! देवेन्द्र देवराजशक्रस्याभ्यन्तरिकायां पर्पदि-मध्यमिकायां - वाह्यायां च देवानां स्थितिः पञ्च - चत्वारि - त्रीणि च क्रमशः पल्योपमानि जानीहि । 'देवी णं ठिई अभिसौ देवियां हैं और बाह्यपरिषदा में पांचसौ देवियां हैं 'सक्करस्स भते देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज शक्र की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितनी कही गई है ? 'एवं मज्झमियाए बाहिरियाए वि' मध्यमपरिषदा के देवों की और बाह्यपरिषदा के देवों की स्थिति कितनी कही गई है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोयमा ! सक्करस देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए पंच पओिवमाई ठिई पण्णत्ता' हे गौतम ! देवेन्द्र देवराज शक्र की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति पांच पल्योपम की कही गई है 'मज्झिमि - या परिसाए चत्तारि पलिओ माई ठिई पण्णत्ता' मध्यपरिषदा के देवों की स्थिति चार पस्योपम की कही गई है 'बाहिरियाए परिसाए देवाणं तिन्नि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता' बाह्यपरिषदा के देवों मने माह्य परिषहाभां पांयसेो हेविया छे. 'सक्कस्स णं भंते! देविंदरस देवरण्णो अभिंतरियाए परिसाए देवाणं केलइयं कालं ठिई पण्णत्ता' हे भगवन् દેવેન્દ્ર દેવરાજ શકની આભ્યન્તર પરિષદ્યાના દેવાની સ્થિતિ કેટલી કહેવામાં मावेस छे. 'एवं मज्झिमियाए बाहिरियाए वि' मध्यम परिषहाना हेवानी भने ખાદ્ય પરિષદાના દેવાની સ્થિતિ કેટલી કહેલ છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી हे छे - 'गोयमा ! सक्करस देविंदस्स देवरण्णो अभितरियाए परिसाए पंच पलिओ माई ठिई पण्णत्ता' हे गौतम । हेवेन्द्र देवरान शनी ग्याल्यन्तर परिपहाना देवानी स्थिति पांय पहयोयमनी हेवामां आवे छे. 'मज्झिमाए परिसाए चत्तारि पलिओमाई ठिई पण्णत्ता' मध्यम परिषहाना हेवोनी स्थिति थार पत्योयभनी उहेवामां आवे छे. 'बाहिरियाए परिसाए देवाणं तिन्नि पलिओ माई दिई पण्णत्ता' माह्य परिषहाना देवानी स्थिति त्रायु यहयोयभनी