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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ २.३ २.४६ देवस्वरूपवर्णन ७२९ पर्पदः प्रज्ञप्ताः-कथिता इखि परिपत्संख्याविषयका प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'तो परिसाओ पन्नत्ताओ, तिस्रः-त्रिसंख्यकाः पर्षदः- सभाः प्रज्ञप्ता:-कथिता इति, 'तं जहा' तद्यथा-'समिया चंडा-जाया' समिता नाम्नि प्रथमा, चंडा द्वितीया, जाता तृतीयेति 'अभितरिया समिया' तत्राभ्यन्तरिका पर्प व समिताऽभिधाना प्रज्ञप्ता 'मज्झे चंडा' माध्यमिका चण्डा नाम्नी द्वितीया बाहिं च जाया' बाह्या च पर्षद जातामिधाना तृतीया भवतीति' 'चमरस्सणं भंते !' चमरस्य खलु भदन्त ! 'असुरिंदरस असुररन्नो' असुरेन्द्रस्यासुरराजस्य 'अमितरपरिसाए' आभ्यन्तरिकाभिधानार्थी प्रथमपरिषदि 'कइ देव साइस्सीओ' पन्नत्ताओ कति-किंयत्संख्यका देसाहस्पः-कियत्संख्यकानि देवसहस्राणि प्रज्ञप्ता ?-कथिता 'मल्झिपपरिसाए कइदेवसाहस्सीओ पन्नत्ताओं माध्यमिकायां चण्डाभिधानायां पदि कति-कियत्संख्यकादेवसाहस्य:-क्रियसंख्यकानि देवसहस्राणि प्रज्ञप्तानि-कथितानि 'बाहिरपरिसाएकइदेवसाहस्सीयो पन्नत्ताओ' बाह्यायां तृतीयस्यां जाताभिधानायां परिषदि कति-क्रियत्संख्यका पन्नत्ताओ' हे गौतम अस्तुरेन्द्र असुरराज चमर की तीन परिषदाएं कही गई है ? 'तं जहा' जो इस प्रकार से है-समिया, चंडा जाया' पहिली समिता परिषदा दूतकरी चण्डा परिषदा और तीसरी जाता परिषदा इनमें 'अभितरिया समिया, मज्झे चंडा, थाहिंच जाया' इन में जो आभ्यन्तर सभा है उसका नाम सममिता है, मन की जो सभा है उसका नाम चंडा है, और जो बायसभा है उसका नाम जाया सभा है। 'चमरस्लणं भंते' असुरिंदरुल असुररन्नो अभिलर परिसाए कई देव साहसीओ पन्नत्ताओ' हे अदन्त ? असुरेन्द्र असुरराज चम. रेन्द्र की आभ्यन्तर सभा में कितने हजार देव है 'मज्झिमपरिसाए कह देवसाहस्सीओ पन्नासो' मध्यम परिषदा में कितने हजार देव है ? છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં ભગવાન શ્રી મહાવીર પ્રભુ શ્રીગૌતમસ્વામીને કહે છે કે 'गोयमा ! तओ परिसाओ पन्नत्ताओ' 8 गौतम ! असुरेन्द्र असु२२३०१ यमरनी त्रय परिपहास उपामा मावस . 'त जहा' त म प्रभारी छ 'समिया चड़ा जाया' पसी सभिता परिषदा, मील 11 परिष: मने श्रील नाता परिषदा छे. तेमा 'अभितरिया समिया, मज्झे चंडा, वाहिच जाया' तमा આત્યંતર પરિષદા છે, તેનું નામ સમિતા છે. મધ્યની જે પરિષદા છે, તેનું નામ ચંડા છે. અને જે બાહ્ય પરિષદા છે, તેનું નામ જાયા છે. ___'चमरस्त णं भते ! असुरिंदस्स असुररन्नो अभितरपरिसाए कइदेव साहस्सीओ पन्नत्ताओं' है मगवन् असुरेन्द्र असुररान अमरेन्द्रनी भास्यन्तर समामा ईटा १२ हे! छे ? 'मज्झिमपरिसाए कइ देव साहस्सीओ जी० ९२
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
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