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पीयूपवपिणी-टीका स ८२ कंपलिसमुदघातधिपये मगधगौतमयो सपाद ६७९
मूलम् केवलिसमुग्घाएणंभंते कइसमइए पपणते? गोयमा । अहसमइए पण्णत्ते; तं जहा-पढमे समए दंडं करेइ. माण यत् मोक्ष प्रयामनोऽभिमुखीकरण तत्, तच उदयावरिकाया कर्मपुद्गलप्रक्षेपन्यापाररूप उदीरणाविशेष । केवलिसमुद्घात कुर्वन् केवली प्रथममेवाऽऽवर्जीकरण करोति । भगवानाह-'गोयमा" है गौतम । 'असखेनसमइए अंतोमुहुत्तिए पगते' अमायेयसमयिकम् मान्तीहर्तिक प्रजमम् ॥ मू० ८२॥
टीका-गौतम पृच्छति-'केवलिसमुग्धाए ण' इत्यादि । 'केवलिसमुग्धाए जभते केवलिसमुद्धात खलु भदन्त ! हे भदन्त । केवलिसमुद्धात 'कइसमइए पण्णत्ते' कतिसमयिक प्रजम १, भगवानाह-'गोयमा' हे गौतम 'असमइए पणते ' अष्टसमयिक प्रज्ञा । अतर्मुहूर्तभाविपरमपदे केवलिनि य समुद्घातो भवति स केवलिसमुद्घात , स चाटसु समयेपु भवती यर्थ । तदेवाह-'तजहा' तयथा 'पहमे समए अभिमुख किया जाता है उसका नाम आवर्जीकरण है। यह केवलिसमुद्घात के पहिले होता है। उदयावलिका मे कर्मपुल का प्रक्षेप करने-रूप व्यापार का यह नामान्तर है ।। मू ८२ ॥
'केवलिसमुग्याए णं भते !' इयादि ।
प्रश्न-(भते!) है भगवन् । (केवलिसमुग्याए णं कइसमइए पण्णत्ते) केवलिसमुद्घात कितना समय का कहा गया है ? उत्तर-(गोयमा) हे गौतम ! (अट्ठसमइए पण्णत्ते) इसका काल ८ समय का कहा गया है। अन्तर्मुहूर्त में परमपद का लाभ जिनको होने वाला है एसे केवलियो द्वारा जो समुद्घात किया जाता है उसका नाम केवलिसमुद्घात है। इसका काल ८ समय का है। (तजहा) वह समुद्घात इस प्रकार से होता है-(पढमे समए दड करेइ) प्रथम समय मे केली के
જીવ મેક્ષની સામે કરવામાં આવે છે તેનું નામ આવજકરણ છે તે કેવલિસમુદઘાતની પહેલા થાય છે ઉદયાવલિકામાં કર્મ પુદગલેને પ્રક્ષેપ કરવા રૂપ વ્યાપારનુ આ માતર છે (સૂ) ૮૨
'केवलिसमुग्माए ण भते।' इत्यादि
प्र--(भंते !)लापान ! (कैनलिसमुग्धाए | कइसमइए पण्णते) पतिम यातना सा समय दा छ ? उत्तर-( गोयमा ।) , गौतम ! (अट्ठसमइए पण्णत्ते) तेन ॥ ८ समयनासो छ म तभा परमपहना લાભ જેમને થવાનું હોય છે એવા કેવળીઓ દ્વારા જે સમુદુધાત કરવામાં आवे छे तेनु नाम सिमभुधात le ८ सभयना छ ( तजहा)
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