________________
-
पीयूषयषिणी-टीका स ४१ अभ्यडपग्विाजविषये भगवदगीतमयो सघाद ५९९ दास-गो-महिस-गवेलगप्पभूयाई बहुजणस्त अपरिभूयाइ तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पञ्चायाहिइ ॥ सू. ४१ ॥
मूलमू--तए णं तस्स दारगस्स गन्भत्थस्स समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे ढढा पडण्णा भविस्सइ ॥ सू ४२॥
दान-कर्मोपयुक्तानि, 'पिछडिय-पउर-भत्तपाणाड ' पिछर्दित-प्रचुर-भक्तपानानिविच्छर्दितानि-दत्तानि प्रचुराणि भक्तानि पानानि-पेयानि यै दुस्तानि तया, 'बहुजणस्स
अपरिभूयाइ ' बहुजनस्याऽपरिभृतानि, कैरप्यपराजितानात्यर्थ । 'तहप्पगारेमु' तथाप्रकारे-तादृशेषु कुलेषु, 'पुमत्ताए' पुस्तया-पुस्पतया, 'पञ्चायाहिद' प्रत्यायास्यति-उपस्थत इत्यर्थ ।। सू ४१॥
टीका-'तए ण' इत्यादि ।'तए ग' तत खलु-तत्पश्चात् 'तस्स दारगस्स' तस्य दारकस्य वालस्य 'गम्भत्थरस चेव' गर्भस्यस्यैव गर्भाऽऽगतस्यैव सत पुण्यशालितया तप्रभावात् 'अम्मापिईण धम्मे' मातापित्रोधर्मे 'दढा पदण्णा' दृढा प्रतिज्ञा 'भविस्सइ' भविष्यति-धर्माराधनाय दृढनिश्चयो भविष्यती यर्थ ।। सू ४२ ॥ नहा पा सकते हैं, (तहप्पगारेर कुलेसु पुमत्ताए पञ्चायाहिद) ऐसे विशिष्ट कुलो मे से किसा एक कुल मे यह अम्बड परिवाजक पुस्परूप से उत्पन्न होगा ।। सू० ४१ ॥
'तए णं तस्स दारगस्स' इत्यादि।
(तए ण) इसके पश्चात् (तस्स दारगस्स) उस लडक के (गव्भत्यस्स समाणस्स) गर्भ में आते ही पुण्य के प्रभाव से (अम्मापिईण) मातापिता को (धम्मे दढा पदण्णा भविस्सइ) धर्म में दृढ आस्था उत्पन्न होगी ।। सू० ४२ ॥
अपरिभूयाइ) मन था पy १२५ पामता नयी (तहपगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चायाहिइ) सेवा विशिष्ट मामाथी से शुभा मे અમ્બાડ પરિવાજ પુરુષરૂપથી ઉત્પન્ન થશે (સૂ ૪૧)
'तए णं तस्स दारगरस' इत्यादि
(तए ण) त्यार पछी (तस्स दारगस) ते राना (गभत्थस्स समाणस्स ) मा मातtar पुश्यना प्रभाव पडे (अम्मापिईण) माता-पितानी (धम्मे दहा पइण्णा भविस्सइ) धर्ममा १८ स्या Gurन थशे (सू ४२)