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भोपातिको मूलम्-अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउबिहे अणहादंडे पच्चक्खाए जावजीवाए, तं जहा-अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे ॥सू० ३६ ॥
टीका--'अम्मडस्स ण' इत्यादि।
'अम्मडस्स ण परियायगस्स ' अम्बडस्य खलु परिवाजकस्य 'वउ विहे अणट्ठादडे पच्चखाए जानीवाए ' चतुर्विध अनर्थदण्ड -अर्थ प्रयोजन गृहस्थस्य क्षेत्रवास्तुधनधान्य शरीरपरिपालनादिविषय- तदर्थ आरम्भो-भूतोपमदोऽर्थदण्ड । दण्डो निग्रहो यातना विनाश इनि पर्याया । अर्थेन प्रयोजनेन दण्डोऽर्थदण्ड , स चैवमृत उपमर्दनलक्षणो दण्ड क्षेत्रादिप्रयोजनमपेक्षमाणोऽर्थदण्ड उच्यते, तद्विपरीतोऽनर्थदण्ड प्रत्या रयातो यावन्नीयम् । अयमनर्थदण्ड स्विम्प ? इति बोधयितुमाह-'त जहा' तद्यथा--' अवज्झाणायरिए ' अपभ्यानाऽऽचरित -अपध्यानम् आर्तरौद्ररूप, तेनाचरित = भासेवितो योऽनर्थदण्ड स तथा । 'पमायायरिए प्रमादाssचरित -प्रमादेन मद्यविषय
'अम्मडस्स ण परिचायगस्म' इत्यादि ।
( अम्मडम्स ण परिवायगस्स) इस अम्बड परिवाजक के (चउबिहे) चारों प्रकार के (अणदादडे) अनर्थ दडी को (जावजीवाए पञ्चक्खाए ) जागनपर्यन्त पोरत्याग है । वे चार अनर्थदड इस प्रकार है-(अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे ) अप यानाचरित, प्रमादाचरित, हिंसाप्रदान, एव पापकर्मोपदेश । विना प्रयोजन जीवों का उपमर्दन जिन कार्यों के करने से होता है उसका नाम अनथेदंड है। आर्त्तरौद्ररूप ध्यान का नाम अप यान है। इस प्यानसे उद्भूत अथवा क्रियमाण दड का नाम अप यानाचरित अनर्थ दड है । मद्य, विषय, कषाय, निदा एव विकथारूप प्रमाद से
"अम्मडस्म ण परिवायगाम" त्याह
( अम्मडस्स ण परिव्यायगस्स) सम्पर परिवाने (चविहे.) यारेय मारना (अणद्वादडे ) सन ६ आना (जानजीवाए पच्चक्साए) 01 पर्यन्त परित्याग छे थे यार सनर्थ ३ मा प्रभारना छ (अवज्याणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पानकम्मोपएसे) मध्यानायरित, अमावायरित, लिया પ્રદાન-હિસાકારક શસ્ત્ર કેઈને દેવ, તેમજ પાપકર્મને ઉપદેશ વિના પ્રજત જીવન ઉપમન જે કાર્યો કરવાથી થાય તેનું નામ અનર્થદડ છે આ રૌદ્રરૂપ ધ્યાનનું નામ અપધ્યાન છે આ ધ્યાનથી ઉદ્દભવેલા અથવા થનારા દડનું નામ અપધ્યાનચરિત-અનર્થદંડ છે મા, વિષય, કવાય, નિદ્રા તેમજ