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णण्णत्थ अलाउपाएण वा दारुपाएण वा महिषापारणाला तेसिं णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयपंधणाणि जाव पाणि धारित्तए । तेसिणं परिवायगाणं णो कैप्पइ णाणाविहानरत्ताई वत्थाइंधारित्तए, णण्णत्थ एगाएधाउरताए।तेति गरि दारुपाएण या मट्टियापारण या' नाऽन्ययाऽलानुपापाद या वारुपात्रादा मृत्तिकापागा, । 'न'इति पूर्वोक्तो निषेध -तुम्बीपात्रात फाष्ठनिर्मितपात्रात् , मृत्तिकापात्राद्वाऽन्यत्र । तुम्पी-43गृतिफापामाणि तु मरयासिना कल्पन्ते इति भाव । तेसिंण परिमायगाणं को कपा अयबंधणाणि बाजार यहुमुल्लाणि धारितए 'तेपासष्ट परिमाजकानाम् भयोजनानि सौरभनयुक्तानि पात्राणि, यावच्छन्दात्-अपुताम्रादिबन्धनयुक्तानि पात्राणि, तथा मूल्यानि भयान्यपि बधनानि धारयितुः तेपा सन्यासिना न कल्पन्ते । 'तेसि ण परिणाव गाणं णो कप्पइ णाणाविर-वण्ण-राग रसाइ बस्थाइ धारितए' तेषा खलु परिमाकाना अपने माहार-विहार आदि के लिये रखना कल्पित नहीं है । (णण्णस्य अलाउपारण का मटियापारण पा.) तूपही, काष्ठनिर्मित फमण्डलु, अथवा मिट्टीका पान, ये ही उन्हें रहना कल्पता है। (अयधणाणि जार बहुमुल्लाणि धारित्तए तेसि ण परिवायगाणं गो फप्पइ) तथा-लोह के मधन से युक्त पात्र, प्रपु के बधन से युक्त ,पान, ताबे के वपन से युक्त पान, जसद के बधन से युक्त, पात्र, सीसे के बधन से युक्त , पात्र, चादी के बंधन से युक्त पान, सुवर्ण के बधन से युक्त पान तथा और भी बहुमूल्य बधन से युक्त पात्र इन साधुगो को फल्पित नहीं बतलाया गया है। (तेसिं ण परियायगाण णो कप्पा गाणा पिह-व-राग-रत्ताइ बस्थाईधारित्तए णण्णस्थ एगाए धाउरताए) अनेक प्रकार
यामपाएण या मट्टियापारण पा) तूंडी, सानु। अनेदु ४भ - RAI भाटीनु पात्र गाणे २ ४ल्पित छ (अययधणाणि जाव बहुमुल्कानि धारितए तेसिं ण परिप्वायगाणं णो कप्पह) या ना मना त पात्र, ત્રના બધનથી યુક્ત પાત્ર, તાબાના બ ધનથી યુક્તપાત્ર, જસતના ધનથી
त पात्र, सीसाना नयी युत, पान, शाहीना मयनयात , સુવર્ણના બ ધનથી યુક્તપાત્ર તથા બીજી પણ બહુમૂલ્ય (કીમતી) ધાતુના બાપનથી सात पात्र साधुआन भाट वियत पता नयी (तेमिण परिवायगाण जो कापर, पाणागिह-पप्पराग-रत्ताइ वत्माइ धारित्तए, णणत्म एगाए भाउरत्तार)