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पोयूषषिणी-टीका र ११ अन्त पुरिकादीनामुपपातयिपये गौतमप्रश्न ५५५ पियरक्खियाओ भायरक्खियाओ पडरक्खियाओ कुलघररविस्वयाओ ससुरकुलरक्खियाओ परुढ-णह-केस-कक्खरोमाओ ववगय-धूव-पुप्फ-गंध-मल्ला-लंकाराओ अण्हाणग-सेय-जल्ल-मल्लभ्रातृरक्षिता , 'पडरवियाओ' पतिरक्षिता , 'कुन पररश्वियाओं' कुलगृहरपिता -कुलगृहे-पितृगृह रक्षिता -पितृवयोद्भवै पालिता इत्यर्थ , 'समुरकुलरक्खियाओ' श्वशुरकुलरक्षिता , 'परूह-णह-केस-कामरोमाओं' प्ररूढ--नस-केग-कक्षरोमाण -प्ररूढानिमजातानि नखकेगकक्षरोमाणि यासा तास्तथा, 'परगय-व-पुप्फ-गर-मल्ला-लकाराओ' व्यपगत-धूप--पुष्प-गन्ध – मायाs -- लबाग -व्यपगता =यक्ता धूपपुष्पगन्धमान्यानामलबाग याभिस्तास्तथा, 'अण्हाणग-सेय-जल्ल-मल्ल-पर-परितावियाओ' अस्नानकहुई अपने शील की रक्षा करती रहती हैं, (भायरक्खियाओ) कितनीक अपने भाइयों से सुरक्षित रहा करती है, (पडरक्खियाओ) कितनीक अपने २ पतिद्वारा सुरक्षित रहा करती हैं, (कुलपररक्खियाओ) कितनीक कुलगृह में पिता के वजों द्वारा पाली-पोपी जाकर सुरक्षित रहा करती हैं, (समुर-कुल-रक्खियाओ) कितनीक ससुरपक्ष के लोगों द्वारा सुरक्षित की जाती है, (परूढ–णह-केस-करखरोमाओ) कितनीक ऐसी होती हैं कि जिनके का, कासरा के बाल एव नस बढे रहा करते हे, (ववगय धृव-पुष्फ-गर-मल्लालकाराओ) कितनीक एमी होती हैं जो धूप-खूगतार तैल आदि के लेने से तथा पुप्पो एव सुगधित पुष्पों की मालारूप अलकारों से सटा परित्यक्त रहा करती हैं, (अण्हाणगमेय-जल-मल्ल-पक-परितावियाओ) कितनीक ऐसी होती हैं जो स्नान नहीं करने से els पिताची सुरक्षित २ता पाताना सन २क्षा ४२ती डाय छ, (भायरक्सियाओ) पाताना सामाथी सुरक्षित २६॥ ४२ छ, (पइरक्सियाओ) 32ी पातपाताना पति र सुरक्षित रह्या ४२ छे, (कुलघररक्सियाओ) उसी सभा पिताना शसे वार पासन-पोषण सई सुरक्षित २॥ ४३ छ, (मसुरकुलरस्सियाओ) टसी सास पक्षना all द्वारा सुरक्षित ४२॥य छ, (परूढ-णह-केस-करसरोमाओ) 32मी की डाय छ हेरेना नम, श, तभर ४॥री (HI)नाण, qधत ता य छ, (वनगय-व-पुष्प-ध-मल्ला-लकाराओ) 32जी मेवी साय छ २५५સુગ ધિત તેલ આદિના લેપથી તથા પુષ્પ તેમજ સુગધિત પુષ્પોની માલારૂપ माथी सहा परित्यात २॥ ४२ छ, (अण्हाणग-सेय-जल्ल-मल्ल-पक