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गोयूपवर्षिणी टोका र ४२ हस्त्यादिसजनम्
३७२ सजं सच्छत्तं सज्झयं सघंटं सपडागं पंचामेलय-परिमंडिया"मिराम ओसारिय-जमल-जुयल-घंटं विज्जुपिणडं व कालमेहं उपाइयपव्वयं व.चंकमंत मतं गुलगुलंतं मण-पत्रण-जडण-वेगं सच्छत्रम्--छत्रयुक्तम्, 'सज्झय' सध्वजम्--ध्वजयुक्तम् 'सार' सघण्टम्-घटाभूषितोभयपार्श्वम्, 'पंचामेलय-परिमडिया-भिराम' पञ्चामेलक-परिमण्डिताऽभिरामम्पञ्चभिरामेलकै पञ्चवर्णाभि पुष्पमालामि परिमण्डितम्-अतएव अभिराम सुन्दर यत्तथा तत् , 'ओसारिय-जमल-जुयल- घट' अपसान्ति--यमल--युगल--घण्टम्-अवसारितम् अधोऽवलम्बित यमलसम युगल-द्विक घण्टयोर्यत्र तत् तथा तत् , 'विजुपिणद्धं विद्युपिनवम्-विद्युद्वियोतित 'कालमेहं व कालमेघमिय-गजस्य कृष्णवर्ण वात उच्चतया च मेघोपमा, 'उप्पाइय--पचय व' औपातिकपर्वतमिव-अकस्मान्नृतनसमुद्भूतपर्वतमिव, 'चकमत' चड्झायमाणम्--अनियेन काम्यन--स्वाभाविकपर्वतो हि न चक्रम्यते इति भार । 'गुलगुलतं' वनन् महामेघवद ध्वनि कुर्वत्-टत्यय , 'मण-पवण-जडण-वेग' (सम्झय) ध्वजासहित था (सरट) घटाओं से इसके उभयपार्श्व युक्त थे। (पंचामलयपरिमडिया-भिराम) पाचवर्ण के पुप्पमाला पहनाने के कारण यह अयन्त मुन्दर लगता या । (ओसारिय-जमल-जुयल-घंट) नीच तक एक ही साथ लटकते हुए दो घटो से यह शोभित या । (विजुपिणद्ध) इस पर जो भी आभग्ग सजाये गये ये वे बिजली के समान चमकते थे, अत यह गजराज (कालमेह व) कृष्णवर्ण होन से काला मेघ के जसा जात होता था। (चकमत उपाइयपच्चयब) चलते समय यह औपातिक पर्वत के समान दिखायी देता था । (गुलगुलत) जर यह चिंधाटता था तो ऐसा प्रतीत होता જાણે એ યુદ્ધને માટે જ સજાએલો છે ( ૪) એ છત્રસાહિત હતું (समय) sd (सघट) घटायो भन्ने मा १४४ती ती (पंचामेलय परिमडिया-भिराम) पाय पनी पु०५मासा पडसाथी से सुदर सागत sat (ओसारिय-जमल-जुयल-घट) नीचे सुधी से माथे exit मे घामाथी तशालत त ( विज्जुपिणद्व) तना ५२२ ३७ सासर સજાએલા હતા તે વીજળીના જેવા ચમકતા હતા આથી આ ગજરાજ (कालमेह व) पर्वा पायी जसा मेघना regnai sai (चकमत उप्पा इयपव्ययं व) यासती मते में सोयाति पतनाव माता ते -(गुलगुलत) प्रत्यारे ते सतत सारे अभ प्रतात तु तु ३ तो