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औषपातिको __ मूलम्-तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउयं आमंतेइ, आमंतित्ता एवं बयासी-खिप्पामेव भो देवाणु
टीका-'तए ण से हयादि। 'तए पतत गल से ऋणि राया भममारपुत्ते स कृगिको राजा भमसारपुन 'पलपाउय' वयात-से-बयापारपरायण-सेनापतिमि यर्थ , 'आमंतेद' आमन्मयनि-आनयति, 'आमंतित्ता' आमन्त्र्य आहय, 'एव वयासी'--एसयादीत्-'खिप्पामेव भो टेवाणुपिया' क्षिप्रमेर भो देवानुप्रिय ! 'आमिसेक स्थिरयण निदा किया। श्रमग भगवान महावीर स्वामो चपानगरी के उपनगरमाम में पधारे हुए है
और वे चपानगरी के पूर्णभद्र उद्यान में पधारनेवाले है-इस प्रकार का समाचार कोगिक राजा को जर इस देशवाहक ने सुनाया था तब उस समय राजाने उसे पारितोषिक रूप में १ लाख चादी की मुद्राएँ दी थीं। परंतु जब उसने यह सबर, दी कि प्रमु चपानगरा के पूर्णभद्र उद्यान म पधार चुके है तर इस बात को सुनकर उहे अयत हर्षका आवेग बढा, और इस आवेग के प्रभार से उन्होंने उसे १२॥ लाग्य चाढी की मुद्राएँ दी ।।म० ३९॥
'तए ण से कणिए राया' इत्यादि ।
(तए णं) इसके अनन्तर (भभसारपुत्ते) भभसार अर्थात् श्रेगिक का पुन ( से कृणिए राया) उम कृगिक राजा ने (चलवाउय) अपने बलव्यामृत-सेनापति का (आमतेइ) बुलाया, (आमतित्ता) बुलाकर (एव वयासी) इस प्रकार कहा--(खिप्पा (सरकारिता सम्माणित्ता) R२ सेभ सन्मान शने तमो तेने (पडिविस
) વિદાય કર્યો શ્રમણ ભગવાન મહાવીર સ્વામી ચ પાનગરીના ઉપનગર ગ્રામમાં પધાર્યો છે તથા તેઓ ચ પાનગરીના પૂણભદ્ર ઉદ્યાનમાં પધારવાના છે-એ પ્રકારના સમાચાર કેણિક રાજાને જ્યારે આ સ દેશવાહરે સ ભળાવ્યા ત્યારે તે સમયે રાજાએ તેને પારિતોષિકરૂપમાં એકલાખ આઠ ચાદીના સિક્કાએ આપ્યા હતા પરંતુ જયારે તેણે આ ખબર આપી કે પ્રભુ ચપાનગરીના પૂર્ણભદ્ર ઉદ્યાનમાં પધારી ચુક્યા છે ત્યારે આ વાત સાંભળી તેમને અત્યત હર્ષનો આવેગ વધ્યો અને આવેગના પ્રભાવથી તેમણે તેને ૧૨ साप यासीनी भाग मापी (स .३८)--
'तए ण से कृणिए गया' इत्यादि . . . .
Tag ण) त्यार ५ (भभसारपुत्ते), संसार अर्थात् पिता पुत्र से कृणिए राया) तेथि २२ (पल्याउय) पोताना व्याधुत-सेना पतिन (आमतेइ) माताया, (आमतित्ता), मालावीन (एच बयासी), Hard