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पीयूपयषिणो-टीका सू. ३३ असुरकुमारदेवधर्णनम
રૂ.૭ महब्बला महासोरखा महानुभागा हार-विराडय-वच्छा कडगतुडिय-थंभिय-भुया अंगय-कुंडल- मह - गंडयल - कण्णपीढधारी विचित्त-वत्था-भरणा विचित्त-माला-मउलि मउडा कल्लाणग-पवरम्बग । 'महचला' महागा -विशेषवलगालिन । 'महायमा' महायशम -विशालकार्तिमत , 'महासोमा महामोरया -विगिष्टमुखमम्पन्ना । 'महाणुगागा' महानुभागा - नचिन्यप्रभावयुक्ता । 'हारपिराइयवच्छा' हानिगजिनयक्षम । 'फडगतुडियर्षभियभुया' कटकटिकन्तम्भितभुजा -कट अव्ये त्रुटिके -बाग्लभूपगविश स्तम्भिता-सज्जिता भुजा येपाते तथा। अंगय कुंडल-मट्ठ-गडयल-कण्णपीठ-चारी' अङ्गद-मुण्टल-मृष्ट-गण्डतल. कोपीठ-माग्णि -अङ्गदानिमाहाभग्णानि कुण्डलमृष्टगटनलानि कर्णपाढानि-कणाभग्णाविशेपान् धरन्ति नन्छीला । 'विचित्त-वन्या-भरणा'-विचित्र-चत्राभग्णा -विचित्रागिज्जुटया) शरार एव आभरग आदि की विशिष्ट प्रभा से ये माण्टत थ । (महब्बला) विशेष शक्तिसम्पन्न थे । (महायसा) उनकी कार्ति दिग्दिगन्त म फैला हुइ थी। (महासोक्खा ) विशिष्ट मुस क ये भोलाये। (महाणभागा) अचिन्य प्रभाव के धारक थे। (हार-विराइयबन्छा) दनका वथ स्थल हार से शोभायमान था । (कडग-तुडिय-यभिय-भुया) कटक,
ल्य एव चुटिक-भुजनन्य से इनकी भुजाये जित था। (अगय-कुडल मट्ठ-गडयलकण्णपीढ-पारी) अगढ-बाजपन्ध, उण्टल-कणाभरणविशेष कि जिससे टनक कपोल घर्पितहो रह है-इन दोनों को एन और भी अन्य विशिष्ट कर्णाभरणो को ये पारण किये हुये थे। (विचित्तवत्याभरणा) विविध प्रकार के वन एन आभरगो को ये पहल हुए थे। (विचित्त*द्धिया २॥ सर्प वो सपन्न हुता (महज्जुइया) विशिष्ट शरी. मने माला माहिती प्रमाथी तसा भडित ता (महव्यला) विशेषत पन्न उता (महायसा) तमना श्रीति यात सा गती (महासोक्खा) विशिष्ट सुमना तेसो त तl, (महाणुमागा) मथित्य प्रभावना पाता (हारविराइय-बच्छा) तभनु वक्ष-यस (छाती) १२ वणे लायमान तु, (कडग तुडिय थभिय मुया) ४८४-पसाय सने त्रुटि-भुन्यथा तभी मुनमा मvिa हती (अगय कुंडल मट्ठ गडयर कण्णपीढधारी) 22 गानमन्च, 33-नाना આભરણ વિશેષ કે જેના વળે તેમના ગાલ ઘર્ષિત થતા હતા, એ બન્ને તથા ते भीत विशिष्ट ४१ सामग्णाने तमामे वारण र्याता (पिचि त्तपत्याभरणा) विविध प्रश्ना १२ त मास२पने तेमाणे धारणा छता