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औपपातिकसने वीरासणिए ४, नेसज्जिए ५, दडायइए ६, लउडसाई ७, आयाबद्धाञ्जलिपुटेन भूमौ चरणतलमारोप्योपवेशनम्-उत्कुटुक, तदासनमस्यारताति इकुटुकाऽऽसनिक १२। 'पडिमट्ठाई' प्रतिमास्थायी-प्रतिमा-मासिम्यादय नियमपिशेपा , ताभिस्तिष्ठति तच्छील प्रतिमास्थायी (३। 'वीरासणिए' वाराऽऽसनिक-सिंहासनोपरि समुप विष्टस्य भूमिस्थितचरणस्य सिंहासनापनयने कृते सिंहासनोपविष्टवदवस्थान वारासन, तदस्यास्तीति वीरासनिक १४। 'नेसजिए' नैपधिक -निषद्या-पुतान्या भूम्यामुपवेशन, तया चरतीति नैपेधिक १५1 'दडायइए' दण्डायतिक -दण्डस्येायतम्-आयामोऽस्याऽस्तीति यह उत्कुटुक-आसन है, जो इस आसन से बैठता है वह उकुटुकासनिक है । इस आसन में भूमि पर दोनों चरणों के तलियों का जमाया जाता है और पुत-(बैठक) जमीन को स्पर्श नहा करते, तथा दोनों हाथों को अजली बधी रहती है । (पडिमट्ठाई) प्रतिमास्थायी साधु की १२ प्रतिमाओं का धारण करने वाला प्रतिमास्थायी है । (वीरासणिए) वीरासनिक-वीरासन से ठहरनेराला वीरासनिक है । इस आसन का यह लक्षण है-काई मनुष्य सिंहासन पर बैठा हुआ है, उस सिंहासन को हटा लेने पर वह वैसे ही खडा रह जाय, उसे 'वीरासन' कहते है । उस आसन से तप करनेवाले का वीरासनिक कहते है । ( नेसज्जिए) नैपधिक-निपयाका अर्थ है-पालथी मार कर बैठना । इस आसन से तप करनेवाले का नैषधिक कहते है । (दडायइए) दण्डायतिक-दड की तरह लवा होकर आसन मे स्थिति करनेवाला दडायतिक है । (लउडसायी) लकुटशायी चक्रकाष्ठ का नाम स्थानस्थिति छ (उकुडुयासणिए) सनि४=G४ मासनथी मेस त ઉત્કટુક આસન છે જે આ આસન કરે છે તે ઉકુટુંકાસનિક છે આ આસનમાં ભૂમિ ઉપર અને પગના તળિયાને જમાવી દેવામાં આવે છે અને પુત (વેઠક) જમીનને સ્પર્શ કરતી નથી તથા બને હાથની આજલિ माधेसी २९ छ (पडिमट्ठाई) प्रतिभास्थायी-साधुनी १२ प्रतिभागानी धार ४२वावाणी प्रतिमाथायी छ (वीरासणिय) वीरासनि-वीरासनथी असनार વીરામનિક છે આ આસનનુ એ લક્ષણ છે કે-કોઈ મનુષ્ય સિંહાસન ઉપર બેઠા હોય તે સિંહાસનને હટાવી લેવાથી તે જ પ્રમાણે ઉભે રહી જાય તેને चाशसनछ त मासनथी त५ ४२वावाणान वारासनिय छ (नेसजिए) નિષકિ-વિદ્યાનો અર્થ છે પલાઠી મારીને બેસવું આ આસનથીતપ કરવાવાળાને न ई (दडायइप) यति- उनी 8 साया थईने मासनमा तिवाद यति छ (लउडसाई) टायी-qist an४नु नाम