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पीयूपपिणी-टीका. स ११ फूणिकयर्णनम बहु-दासी-दास-गो-महिस-गवेलगप्पभूए पडिपुतण-जंत-कोसकोहागारा--उधागारे वलवं दुबलपच्चामिले ओहयकंटयं निहयभत्तपाणे' पिच्छतिप्रचुरभक्तपान –पिच्छर्दिते दत्ते प्रचुर बहुल भक्तपाने आहारपानीये येन स तथा, वितीर्णाहुतरान्नजल टयर्थ । 'बहु-दासी-दास-गो-महिसगवेलगप्पभूए' बहु-नामी-दास-गो-मन्पि-गवेलकप्रभृत -बहनो दाम्यो दामा गावो महिन्यो गवेलका =मेपाश्च, तै प्रभूत =सुवृद्धिमुपगत । 'पडिपुण्ण-जत-कोस-कोट्ठागारा-उपागारे' प्रतिपूर्ण-यन्त्र-कोश-कोष्टागाग-ss-युपाऽऽगार , तन-यन्त्र-शिल्पादिसाधनरूप-जलयन्त्रादिक अन्तरप्रक्षेपणादिरूप च, कोगो-नानार-रत्नादिभाण्डागारम् , कोष्टागार-धान्यगृहम् , आयुधागार-विविधयवानगृह च प्रतिपूर्ण यस्य स तथा । 'बलब' वल्वान् - तनुबल-धननल-सैन्यबलमम्पन्न । 'दुव्वलपचा मित्ते' दुर्बलइनके रसोई घर में इतना भक्तपान बनता था, कि सबके भोजन कर लने पर भी बहुतसा बच जाता था, जो गरानों को दे दिया जाता था। (बहु-दासी-दास-गोमहिस-गवेलग-प्पभूए) इनकी सेवा के दिये बहुत से टासी दाम इनके पाम सदा रहते थे। और उनकी पशुशाला में गाय, भस तथा मपाका झुण्डका झुण्ड रहता था। (पडिपुग्ण-जत कोस-कोट्ठागारा-उपागारे) उनका यन्त्रागार यन्त्रा से-गिन्य के माधना से, फुहारा के साधनों से, तथा पयर फेकने के सापनों से परिपूर्ण था, उनका फोग सुवर्णमुद्रा रन आदि से भरा रहता था, जनेक प्रकार के वान्यों से इनका कोष्टागार परिपूर्ण या, तया उनका शस्त्रागार अनक प्रकारों के अस्त्रशस्त्रा से सदा भग रहता था। (बलव) ये राजा विशेष बलमान थे, अथात् तनुनल
એટલી તે રઈ બનતી હતી કે બધા ભેજન કરી લીધા પછી પણ ઘણીએ माधवधी ५उती ती मान मापी हेवामा भारती (बहु-दासीदाम-गो महिस गवेल्ग-प्पभूए) तभनी येपा भाटे धामी तमनी पासे અર્વદા રહ્યા કરતા હતા તેમની પશુશાલામાં ગાય ભેસ તથા ઘેટાના टमाना टा२ता उता (पडिपुण्ण-जत-कोस कोष्ठागारा उधागारे) तमना यत्राગાર યત્રોથી-શિ૫ના સાધનથી, ફુવારાના માધનથી, તથા પત્થર ફેંકવાના સાવનોથી પરિપૂર્ણ હતા તેમને પ્રજાને નાના સિક્કા અને આદિથી
રહેતું હતું અનેક પ્રકારના ધાથી તેમનો કોઠાર પરિપૂર્ણ હતા - તેમનું શસ્ત્રાગાર અનેક પ્રકારના અસ્ત્રશસ્ત્રોથી સદા ભરેલું રહેતું