SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 337
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुनिकुमुदचन्द्रिका टीका, सुकृष्णाचरितम् २६५ ॥ मूलम् ॥ तए णं सा सुकण्हा अजा अजचंदणाए अब्भणुण्णाया समाणी अटअट्टमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरइ, पढमे अट्टए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ, एक्केकं पाणगस्स दतिं जाव अट्टमे अट्ठए अट्ट भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ, अट्ट पाणगस्त । एवं खलु अट्टमियं भिक्खुप्पडिमं चउसट्रोए राइंदिएहिं दोहि य अट्टासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव आराहिता नवनवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरइ । पढमे नवए एक्केकं भोयणस्स दतिं पडिगाहेइ एक्केकं पाणगस्त, जाव नवमे नवए नव नव दत्ति भोयणस्स पडिगाहेइ नव नव पाणगस्स, एवं खल्लु नवनवमियं भिक्खुपडिम एकासीईराइंदिएहिं चउहिं पंचोत्तरेहि भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव आराहित्ता दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ता णं विहरइ । पढमे दसए एक्केवं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्के पाणगस्स जाव दसमे दसए दस दस भोयणस्स, दस दस पाणगस्स, एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइंदियसएणं अद्धछटेहि भिक्खासएहिं अहासुतं जाव आराहेइ, आराहिता बहूहिं चउत्थ जाव मासद्धमासविविहतवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरइ। तए णं सा सुकण्हा अजा तेणं ओरालेणं जाव सिद्धा ॥ सू० ११ ॥ . - [सुकण्हानामं पंचमं अज्झयणं समत्तं] .. ॥ टीका ॥ .... ...'तए थे' इत्यादि । 'तए णं सा सुकण्हा अज्जा अजचंदणाए अभ गुण्णाया समाणी' ततः खलु सा सुकृष्णा आर्या आर्यचन्दनया अभ्यनुज्ञाता ....:उसके बाद सुकृष्णा आर्या अष्टअष्टमिका भिक्षुप्रतिमा स्वीकार ત્યારપછી સુકૃષ્ણ આ “અણઅષ્ટમિકા ભિક્ષુપ્રતિમાને સ્વીકાર કરી વિચારવા
SR No.009332
Book TitleAntkruddashanga Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages392
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy