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सङ्ग्रहगाथा:
५२५ उल्लण -दतवण फले, अमिंगणुव्वदृणे मिणाणे य । क्व क्लेिवण पुप्फे, आभरणे धृच पेज्जाए ॥ ८॥ भक्खोयण सूव घ सागे मादृस्य जिमण पाणे य ।
तबोले इगवीस, आणदाईण अभिग्गहा ॥९॥ आईनयनिादन्तपवन फले, अभ्यञ्जनोद्वर्तनयो. स्नाने च । वस्त्र विलेपन पुप्पे, जाभरणे धूपपेययो ॥ ८॥ भयो दन मप घृते शाके, मापुरकजेमन पाने च । ताम्मूले, एकविंशतिरानन्दाढोनामभिग्रहा ॥९॥
१ उलणिया (आईनयनिका) विविमें अगपोच्ने का तोलिया के मिवाय सबका त्याग २ दतवन विधिमें गीली मयुयष्टि जेठीमधु के सिवाय सघका त्याग ३ फल विधिमें मोटा आंवला के मिवाय सवका त्याग ४ अभ्यग (तैलमर्दन) विधिमे शतपाकसहस्रपाक तैल के सिवाय सबका त्याग ८ उद्वर्तन (उपटना) विधिमें सुगन्धियुक्त गेहूँ आदि के चूर्ण (आटे) के सिवाय सरका त्याग ६ मजनविधि (म्नान) मे आठ यडे कलगो के मिवाय मरका त्याग ७ वन्त्र विधिमें दो रईसे पने वन्त्री के सिवाय सरका त्याग ८ विलेपन विधिमे अगर चन्दनकुकुमादिके विलेपन के सिवाय सरका त्याग ९ पुष्पविधिमें कमल और चमेली के पुष्पोकी माला के सिवाय सरका त्याग १० आभरणविधिमे दो कुडल और एक नाममुद्रा (अगूटी) के सिवाय सरका त्याग १५ धूप विधिमें अगुरु लोगान के धूपके सिवाय सरका त्याग १२ भोजनपेय विधिमे मृग आदिदालोका झोल और चावल का मड के सिवाय मरका त्याग १३ भक्ष्यविधिमे घेवर और ग्वाजा पकान्नके सिवाय सका त्याग १४ ओदनविधिमे क्लमशालि (साठी चावलो के भात) के सिवाय सबका त्याग १५ मपविधिमे मृग उडद
और मटर की दाल के सिवाय सरका याग १६ वृतविधिमें शरद'ऋतके गौधत के सिवाय सवका त्याग १७ शाक विधि में वयुवा चुचू तुव (आलटी लाकी) शाक के सिवाय मरका त्याग १८ माधुरक विपिमें पालक के मिवा सबका त्याग १९ जेमन विधिमे खटाईसे भावित दाल शाम के सिवाय सवरा त्याग २० पानीय विधिमें अन्तरिक्षोदक (माहेन्द्रजाल जो वृष्टि के जलको पात्रो में सग्रह किया