________________
६७४
साधर्मका
मूलग्-तणं से चिलाए घोरसंणावई अन्द्धरत्तकालसमयसि निसत पडिनिसतंसि पचहिं चोरसहि सा माझ्यगोमुहिएहि फलएहि जाव मृदआहि उमपटियाहि जेणेव रायगिहस्स नयरस्स पुरथिमिले दुवारे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता उदगवत्थि परामुसई, आयंते चोक्से सुइभूप तालुग्धाडणिविज आवाहेइ, आवाहिता, रायगिहस्स दुबारकवाडे उद्एण अच्छोडेर, कवाड विहाउइ विहाडित्ता रायगिह अणुपविसइ, अणुपविसित्ता, महयार सद्देणं उग्घोसेमाणे२ एव वयासी - एव खलु अहं देवाणुप्पिया । चिलाए णामं चोरसेणावई पचहि चोरसहि सद्धि सीहगुहाओ चोरपीओ इह हव्वमागए पण सत्थवाहस्स गिह घाउकामे, त जोण णवियाए माउ याए दुद्धं पाउकामे से णं णिगच्छउ तिकट्टु जेणेव घण्णस्स सत्थ वाहस्स गिह तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ताधण्णस्स गिह विहा डेइ। तएणं सेधपणे चिलाएणं चोरसेणावड़णा पचहि चोरसहि सद्धि हि घाइज्माण पासइ, पासित्ता भीए तत्थे४ पचहि पुतेहि सद्धि एगंत अवक्कमइ । तएणं से चिलाए चोरसेणावई धण्णस्स सत्यवाहस्स गिह घाएइ घाइत्ता, सुबहु धणकणग जाब सावएज्ज सुसुम च दारिय गेण्हइ, गेण्हित्ता, रायगिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता, जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ सू० ६ ॥