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वाताधर्मका
मूलम् - तएण से चिलाए घोरसेणावई अहरत्तकालसमयसि निसत पडिनिसतसि पचहिं घोरस पहिंसा माझ्य गोमुहिएहि फलएहि जाव मृदआहि उरुघंटियाहि जेणेव रायगिहस्स नयरस्स पुरथिमिल्ले दुवारे तेणेव उद्यागच्छड, उवागच्छिता उदगवत्थं परामुसई, आयते चोक्खे सुइभूप तालुग्धाडणिविज आवाहेइ, आवाहित्ता, रायगिहस्स दुबारकवाडे उदएण अच्छोडेर, कवाड विहाउइ विहाडित्ता रायगिह अणुपविसइ, अणुपविसित्ता, महयार सद्देणं उग्घोसेमाणे२ एवं वयासी - एव खलु अह देवाणुपिया । चिलाए णाम चोरसेणावई पचहि चोरसहि सद्धि सीहगुहाओ चोरपीओ इह हव्वमागए धण्णस्स सत्थवाहस्स गिह घाउकामे, त जोणं णवियाए माउ याएदुद्ध पाउकामे से णं णिगच्छउ तिकट्टु जेणेव धण्णस्स सत्थ वाहस्स गिह तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता घण्णस्स गिह विहा डेइ। तएण से धण्णे चिलाएणं चोरसेणावइणा पचहि चोरसाएहि सद्धि हि घाइज्जमाण पासइ, पासित्ता भीए तत्थे४ पचहि पुत्तेहि सद्धि एगंत अवक्कमइ । तएण से चिलाए चोरसेणावई धण्णस्स सत्थवाहस्स गिह घाएइ घाइत्ता, सुबहु धणकणग जाव सावएज्ज सुसुम च दारिय गेण्हइ, गेण्हित्ता, रायगिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता, जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ सू० ६ ॥