________________
.
wwwwww
मित्तणाइ जाव संपरिवुडे सव्विड़िए जाव रत्रेणं नेयलिपुरस्स मज्झ मज्झेणं जेणेव सुब्वयाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ । पोहिला सीयाओ पच्चोरुहइ । तेतलिपुत्ते पोट्टिलं पुरओ कहु जेणेव सुव्वया अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बंद नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एवं बयासी एवं खलु देवाणुपिया । मम पोहिला भारिया इट्ठा ४, एसणं संसारभउन्त्रिगा जाव पत्रइत्तए, पडिच्छतु र्ण देवाणुप्पिया ! सिस्सिणीभिक्खं अहासुहं मा पडिवध करेहि । तएण सा पोहिला सुन्वयाहि अज्जाहि एवंवृत्ता समाणा हट्टतुट्टा उत्तरपुरत्थिम दिसीभाग अवक्कमड़, अक्कमित्ता सयमेव आभरणमालालकार ओमुयइ, ओमुइत्ता, सयमेव पचमुट्टिय लोयं करेइ, करिता, जेणेव सुन्वयाओ तेणेव उवागन्छ, उवागच्छित्ता वदइ, णमसइ, वदित्ता णमसित्ता, एव वयासी-आलित्ते णं भते । लोए एव जहा देवाणदा जात्र एक्कारसअगाइ अहिज्जइ, बहूणि वासाणि सामन्न परियागं पाउणइ, पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता सहि भत्ताइ अणसणाए छेदित्ता, आलोइयपडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे काल किच्चा अण्णतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववण्णा ॥ सू०८॥
3
टोका - ' तएणं तीसे ' इत्यादि । तत खलु तस्या पोट्टिलाया. 'पुन्त्र रतावरच कालसमय सि' पूर्वरात्रापररात्र कालसमये = रात्रे पश्चिमे भागे 'कुडव जाग
तरण - 'नीसे पोहिलाए' इत्यादि ।
टोकार्थ - (तरण) इसके बाद (तीसे पोहिलाएं ) उम पोट्टिला के जब कि वह ( अन्नया क्या किसी एक दिन (पुवारतकालमम
'तएण -तीस पोट्टिलालाए' इत्यादि ।
टीअर्थ - (तरण ) त्यार पछी ( तीसे पाहिलाए ) ते पोट्टिनाने हैं क्यारे ते ( अन्नया कथाइ ) जेहा मेऊ हिवसे િ
"1