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माताधर्मकथा णूति मित्ता कण्हं वासुदेवं पडिवालेमाणार चिटुंति, तएणं से कण्हे वासुदेवे सुटियं लवणाहिबई पासइ पासित्ता जेणेव गंगामहाणई तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता एगट्टियाए सव्वओ समता मग्गणगवेसणं करेइ करिता एगष्ट्रिय अपासमाणे एगाए पाहाए रहं सतुरगं ससारहिं गेण्हइ एगाए वाहाए गंगं महाणई वासहिं जोयणाइ अद्धजोयणं च विच्छिन्न उत्तरिउ पयत्ते यावि होत्था, तएण से कण्हे वासुदेवे गंगामहाणईए वहुमझदेसभार्ग सपत्ते समाणे सते तते परितते वद्धसेएजाए यावि होस्था तएण कण्हस्स वासुदेवस्स इमे एयारूवे अब्झथिए जाव समुप्पज्जित्था अहो ण पंच पंडवा महाबलवगा जेहि गंगामहाणई वासहि जोयणाई अद्धजोयणं च विच्छिण्णा वाहाहिं उत्तिपणा, इत्थभूएहि णं पचहि पंडवेहि पउमणाभे राया जाव णो पडिसेहिए, तएण गगादेवी कण्हस्त वासुदेवस्स इम एयारूव अज्झस्थिय जाव जाणित्ता थाह वितरइ, तएण से कण्हे वासुदेवे मुहुत्ततर समासासइ समासासित्ता गंगामहाणइं वावर्टि जाव उत्तरइ उत्तरित्ता जेणेव पच पडवा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पच पडवे एव वयामी-अहो णं तुन्भे देवाणुप्पिया। महाबलवगा जेण तुब्भेहिं गंगामहाणई वासहि जाव उत्तिण्णा, इत्थ भूएहि तुम्भेहि पउम जाव णो पडिसेहिए, तरण ते पच पडवा कण्हेण वासुदेवेणं एव वुत्ता समाणा कण्हं वासुदेव एव वयासी-एव खल्लु देवाणुप्पिया। अम्हे तुब्भेहि विसज्जिया समाणा