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________________ __ धमकपास ५३२ संगइएणं देवेण अमरकंकाणार साहरिया, तएणं से कण्हे वासुदेवे पंचहि पडवेहिं सद्धि अप्पछठे छहिं रहेहि अमरकक रायहाणि दोवईए देवीए कूवं हव्वमागए, तएण तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स पउमणाभेणं रपणा सद्धिं संगामे सगामेमाणस्स अय सखसद्दे तव मुहवाया० इव वीइ भवद, तएणं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वय वंदइ२ एवं वयासी-गच्छामि णं अहं भते । कण्हे वासुदेवे उत्तमपुरिस सरिसपुरिस पासामि, तएण मुणिसुव्वए अरहा कविले वासुदेवे एव चयासी - नो खल्लु देवाणुप्पिया । एव भूय वा३ जपण अरहंतो वा अरहत पासइ चकवट्टी वा चकवट्टि पासइ बलदेवा वा बलदेव पासइ वासु देवो वा वासुदेव पासइ, तहविय ण तुम कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुद्द मज्झमज्झेण वीइवयमाणस्स सेयापीयाइ धयग्गाइ पासिहिसि, तएण से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वय वंदइ नमसइ वदित्तानमसित्ताहत्थिखध दुरूहइ दुरूहिता सिग्ध२ जेणेव वेला उले तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स लवण समुद्द मज्झमज्झेण वीइवयमाणस्त सेयापीयाइ धयग्गाइ पासइ पासित्ता एवं वयइ एसण ममसरिसपुरिसे उत्तमपुरिसे कण्हे वासु देवे लवणसमुद्द मज्झ मज्झेण वीइवयइत्तिकह पचजन्न सख परामुसइ परामुसित्ता मुहवायपूरिय करेइ, तएण से कण्ह वासुदेवे कविलस्त वासुदेवस्स सखसद्द आयन्नेइ आयन्नित्ता पचजन्नं जाव पूरियं करेइ, तएण दोवि 1 दे -
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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