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वाताधर्मका
आवाहेइ आवाहिता जामेन दिसि पाउए तामेव दिसिं पडिगए, तपणं से कण्हे वासुदेवे दूयं सदावेद सहावित्ता एव वयासी - गच्छहणं तुम देवाणुप्पिया । हत्थिणाउर पंडुस्स रन्नो एमट्ट निवेदेहि एवं सलु देवाणुप्पिया । धायइसंडे दीवे पुरच्छिमडे अवरकंकाए रायहाणीए पउमणाभभवणंसि दोवइए देवीए पत्ती उवलडा, त गच्छंतु पंच पडवा चाउरगिणीए सेणाए सद्धिं सपरिवुडा पुरत्थिमवेयालीए मम पडिवालेमाणा चिट्ठतु, तएण से दूए जाव भगइ, पडिवालेमाणा चिहह ते वि जाव चिह्नति, तणं से कण्हे वासुदेवे कोडुवियपुरिसे सहावेइ सद्दावित्ता एवं वयासीगच्छह णं तुभे देवाप्पिया । सन्नाहियं भेरि ताडेह, ते वि - तालेति, तरणं तेसि सन्नाहियाए भेरीए सद सोच्चा समुद्दविजयपामोक्खा दसदसारा जाव छप्पण्णं वलवयसाहस्सीओ सन्नद्धवद्ध जाव गहियाउहपहरणा अप्पेगइया हयगया गयगया जाव वग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धार्वेति, तएण कण्हे वासुदेवे हत्थिखधवरगए सकोरटमलदामेण छत्तेण० सेयवर० हयगय० महया भडचडगर पहकरेण वारवईए णयरीए मज्झ मज्झेण णिग्गच्छइ, जेणेव पुरत्थिमवेयाली तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिंत्ता पचहि पडवेहि सद्धि एगयओ मिलित्ताग्वच र करे
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