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गच्छित्ता अहिच्छत्ताए णयरीए बहिया अग्गुज्जाणे सत्यनिवेसं करेइ करिता सगडीसागड मोयाइ, तपण से घण्णे सत्थबाहे महत्थं३ रायरिहं पाहुड गेण्हइ गेव्हित्ता बहुहि पुरिसंहिं सद्धि संपरिवुडे अहिच्छत्त नयरिं मज्झ मज्झेणं अणुष्पविसद्द अणुष्पविसित्ता जेणेव कणगकेऊ राया तेणेन उपगच्छइ, उवागच्छित्ता 'करयल जाव वृद्वावेइ, वद्वानित्ता तं महत्य३ पाहुड उवणेइ, तएण से कणगकेऊ, राया हट्टतुट्ट० घण्णस्स सत्यवाहस्स तं महत्थ३ जान पडिच्छइ पडिच्छित्ता धण्ण सत्थवाह सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारिता सम्माणित्ता उस्सुक्क वियरइ २ पडिविसज्जेइ । तएण से धणे सत्यनाहे भडविणिमयं करेइ करिता पडभड गेण्हइ गेव्हिन्ता सुहसुहेण जेणे चपानयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता भित्तनाइ० अभिसमन्नागए बिउलाई माणुस्सगाई कामभोगाई भुजमाणे विहरड़, तेण कालेन तेणं समएण थेरागमणं घण्णे सत्थवाहे धम्मे सोच्चा जेट्टपुत्ते कुडुत्रे ठावेत्ता पत्रइए सामाइयमाइयाइ एक्कारसअगाइ वहूणि वासाणि सामण्णपरियाग पाउणइ पाउणित्ता मासियाए सं० अन्नतरेसु देवलोपसु देवत्ताए उववन्ने महाविदेहे वासे सिज्झिहि जाव अतं करेहिइ । एव खलु जंबू । समणेण भगवया महावीरेण जाव सपत्तेण पन्नरसमस्स नायज्झयणस्स अयमट्टे पण्णत्ते तिमि ॥ सू० ४ ॥
|| पन्नरसमं नायज्झयण समन्त ॥