________________
মামধাব अपने सती यदि अहमेवभूत सत्यमपि पदामि, यत्-अह 'सहपृतेहि अपुन' सहपुरैरपि अपुन:पुत्रो विद्यमाने पि भह पुत्रादित पामिनास्तत्वात का 'मेय ' ममेद इद मदीय बन 'मास्मि अदाम्यनित्य पति, न कोऽपि, तथा अह 'सहमिहिअमित' सहमिरमिर मिशेष विमानेपपि - मित्ररहितोऽह ' को 'मेद ' ममेद चिन श्रद्धाम्यति । पम् अनेन प्रशारणैर अर्थेन दारै दास. परिजनेन च महितोऽपि, त रहितोऽस्मि, इद मदीय पचन फ. अदा स्पति, अपितु न कोऽपि । 'एच ' अमुना प्रकारेण स यद्यह प्रीमियत 'तेतलिपुगे' तेतलिपुत्र नामधेये खलु मयि अमात्ये कनक यजेन राजा 'अशाएणं समाएण' अपध्यातेनश्चिन्त केन सता, अर्थात् कनकध्वजो रागा सकता है जैसा मैं यह सल भी कहूँ कि में पुत्रों के विद्यमान होने पर भी अपुत्र पुत्र रहित है, तो पौव मेरी हम बात को श्रद्धा से देखेगा इसी तरह में यह कहूँ कि मैं मित्रों के विद्यमान होने पर भी मित्र रहित है-तो कौन मेरे इन वचनों पर विश्वास करेगा-(एव अत्थे गं दारेण दासेहिं परिजणेण पर ग्वलु तेतलिपुत्तण अमच्चे कणगज्झएण रन्नाअवज्झाएण समाणेण तेतलिपुत्तेण तालपुडगे घिसे आसगसि पक्खित्ते से चि यणो कमइ को मेय सद्दहिस्मइ? तेतलिपुत्तेण नीलुप्पल जाव खसि ओहरिण तत्व वि से धारा ओपला को मेय सहहिस्सइ) इंस तरह अर्थ, दारा, दास, परिजन, इन से युक्त होने पर भी में-इन से रहित हैं, कौन मेरे इस वचन को मानेगा? अर्थात् कोई नही मानेगा इसी तरह यदि में ऐसा कहूँ कि मुझे तेतलिपुत्र अमात्य के ऊपर कनक માણસે માટે શ્રદ્ધય થઈ શકે તેમ નથી જેમ કે હું અત્યારે આ જાતની સાચી વાત પણ કહ્યું કે પુત્ર હોવા છતાએ હુ પુત્ર વગર છુ તે કોણ મારી આ વાતને શ્રદ્ધાની દષ્ટિએ જોશે ? આ પ્રમાણે જ હુ કહું કે મિ હોવા છતા હુ મિત્ર વગરને છુ તે કણ મારી આ વાત ઉપર શ્રદ્ધા ધરાવી
(एव अत्येण दारेण दासेहि परिजणेण एर सलु तेतलिपुत्तेण अमच्चे कण गज्झएण रत्ना अवज्झाएण समागेण तेतलिपुत्तेण तालपुडगे पिसे आसगास पक्खित्ते से वि य णो क्मइ, को मेय सहहिस्सइ १ तेतलिपुत्तेण नीलुप्पल जाव खधसि ओहरिए तत्थ पि से धारा ओपला को मेय सदहिस्सइ)
माशते म (धन), हरा (पत्नी) हाम, पति से मचा डावा છતા પણ હું એમના વગર છુ મારી આ વાત ઉપર કણ વિશ્વાસ મૂકવા તૈયાર થશે ? એટલે કે કોઈ પણ વિશ્વાસ કરશે જ નહિ આ રીતે જ ને હું આમ કહ્યું કે મારા ઉપર ગાડનઃ બ્રિજ નારાજ થઈ ગયા હતા એટલા માટે