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भाताया 'पासणयाए' दर्शनाय ?, एमाखल हे देशमियाः । समारगयोद्विग्ना इच्छति देवानुपियाणामन्ति के मुण्डाभूत्वा यारत्मवनितु, तद् एता सल देवानुप्रियाणा शिप्याभिक्षा दाः, 'पडिरतु' प्रतीच्छन्न-स्वीडन्तु बलु हे देशानुप्रियाः । शिप्याभिक्षाम् । भगनानाह-ययामुग्व हे देशानुमियो !मा प्रतिपय पुस्तम् । ततः खलु काली कुमारी पार्थ महन्त मदते नमस्यति, चन्दित्वा नमस्थित्या उत्तरपोरस्य ण देवाणुप्पिया! ससारभउन्धिग्गा, इच्छा, देवाणुपियाण | अतिए मुटा भवित्ता जाच पचहत्तप, त ण्य ण देवाणुप्पियाण मिस्सिणिमिक्ख दलयामो पडिस्तु ण देवाणुप्पियासिस्मिणिभिररस) हे देवानुप्रिय। यह हमारी काली दारिका नामकी पुत्री है। यह हमें बहुत अधिक इष्टा, कान्ता यावत् उदम्बर पुष्प के समान सुनने के लिये भी दुर्लभा है-तो फिर हे अग! इसके दर्शन की तो बात ही क्या कहना है । हे देवानु प्रिय ! यह समारभय से उद्विग्न हो रही है अतः आप देवानुप्रिय के पास मुडित होकर यावत् सयम लेना चाहती है। इस लिये हम दोनों
आपके लिये शिष्या की भिक्षा दे रहे है-आप देवानुप्रिय ! हमारी इस शिष्यारूप भिक्षा को स्वीकार करें (अहासुर देवाणुप्पिया! मा पडिबध करेह ) इस प्रकार उन दोनों का कथन सुनकर प्रभु ने उनसे कहा है देवानुप्रियो ! आप को जैमा सुख हो-वैसा आप करो-इसमें विलम्ब करने से लाभ नहीं हैं। (तएण) इसके बाद (काली कुमारी पास पुण पासणयाए ? एमण देवाणुप्पिया। समारभउम्बिग्गा, इच्छइ, देवाणुप्पि याण ! अतिए मुडा भवित्ता जाप पचहत्तए, त एय ण देवाणुप्पियाण सिस्सिाण भिक्ख दलयामो पडिच्छतु ण देवाणुप्पिया! मिस्सिणिभिक्ख)
હે દેવાનુપ્રિય! આ અમારી કાલી દારિકા નામે પુત્રી છે અમારા માટે આ બહુ જ વધારે ઈષ્ટા, કાતા યાવત્ ઉદુમ્બર પુષ્પની જેમ નામ શ્રવણમાં પણ દુર્લભ છે તે પછી એના દર્શનની તો વાત જ શી કરવી ? હે દેવા નુપ્રિય! આ સમાર ભયથી ઉદ્વિગ્ન થઈ રહી છે એથી આપ દેવાનુપ્રિય પાસેથી મુડિત થઈને યાવત સ યમ ગ્રહણ કરવા ઈચ્છે છે એથી અમે મને આપના માટે આશિધ્યાની ભીક્ષા અર્પણ કરીએ છીએ આપ દેવાનુપ્રિય અમારી मा शिव्यापी निशाना स्वी२ श (अहासुह देवाणुपिया ! मा पडिबध करेह ) मा प्रभारी सामने ४५न सासणीत प्रभु तेभने ४धु 3 3 દેવાનુપ્રિયે ! તમને જેમ સુખ પ્રાપ્ત થાય તેમ કરી આમાં વિલંબ કરવાથી साल नया (तएण) त्यारपछी