SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1044
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धर्मव्या नैरपिकतया उपपनः। एन एष्टान्तन गगवान महावीर मानुपदिशति-एवमेव =अने नैवप्रकारेण हे आयुष्मात' ! श्रमणाः यः पविदस्माक श्रमणो वा श्रमणी वा आचार्योपाध्यागानागतिक यात्मनिवः सन पुनरपि मानुप्यमान कामभोगान् 'आसाइ' आचादयति । स 'जार जणुपग्यिहिस्मर' यापदनुपर्यटिष्यतियावत्-चातुरन्तरासाकान्तार परिभ्रमिष्यति । 'जह से कडरीए राया' यथेव स कण्डरीरो राना ।। मू०६ ॥ मूलम्-तएणं से पोंडरीए अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता थेरे भगवते वदइ नमसइ, वदित्ता नमंसित्ता थेराणं अंतिए दोच्चपि चाउजाम धम्म पडिवज्जइ, छक्खमणपारणगंसि पढमाए पारिसीए सज्झाय करेइ, करिता नाव अडमाणे सीयलपख पाणभोयणं पडि गाहेइ, पडिगाहित्ता, अहापज्जत्तमिति कह पडिणियत्तइ, गर की जहा उत्कृष्ट स्थिति है-नारकी की पर्याय से उत्पन्न हो गये। इसी बात को दृष्टान्त से श्री भगवान महावीर प्रभु साधुओं को सम झाते है-(एवामेव समणाउसो! जाव पचहए समाणे पुणरवि माणु स्सए कामभोगे आमाए जाव अणुपरियहिस्मइ, जहा व से कडरी राया) इसी तरह हे आयुष्मत श्रमणो ! जो कोई हमारा श्रमण अथवा श्रमणीजन आचार्य उपायाय के पाम में दीक्षित होकर के पुन: मनुष्य भव सबन्धी कामभोगो को भोगता है वह कडरीक राजा की तरह यावत् इस चतुर्गति रूप ससार कान्नार में परिभ्रमण कयेगा ।सूत्र६।। સ્થિતિ પ્રમાણ છે-એટલે કે ૩૩ સાગરની જ્યા ભ્રષ્ટ સ્થિતિ છે-નારકીની પર્યાયથી જન્મ પામ્યા એ જ વાતને શ્રી ભગવાન મહાવીર પ્રભુ દેખાતા રૂપમાં સાધુઓને સમજાવે છે કે– एवामेय समणाउसो! जाव पव्वईए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोगे भासाए जाव अणुपरियट्टिरसइ, जहा व से क हरीए राया) આ પ્રમાણે છે આયુમ ત શ્રમણે ! જે કે અમારા શ્રમણ અથવા શ્રમજન આચાર્ય કે ઉપાધ્યાયની પાસે દીક્ષિત થઈને ફરી જે તે મનુષ્ય ભવના કામને ભેગવે છે, તે કડરીક રાજાની જેમ યાવતુ આ ચતુર્ગતિ રૂપ સસાર કાતારમાં પરિભ્રમણ કરશે કે સૂત્ર ૬ છે
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy