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________________ ७१२ morial विहरति। तारणं पुंडरीग गया जहा मडुप सेलागस्स आव वलियसरीरे जाए । ताणं थेरा भगतो पोंडरीय राय पुच्छति, पुच्छित्ता पहिया जणवयविहारं विहरति । तएण से कंडरीए ताओ रोयायंकाओ विप्पमुक्के समाणे तंसि मणुष्णसि असगपाणखाइमसाहमसि मुच्छिण गिद्धे गढिए अजोबवणे णो संचाएइ पोंडरीय राय आपुच्छित्ता पहिया अन्भुज्जएण जण क्यविहार विहरित्तए । तत्थेव ओसणे जाए । तएण से पोंड रीए इमीसे कहाए लट्टे समाणे पहाए. अतेउरपरियालसंप रिखुडे राया जेणेव कडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवा गच्छित्ता, कडरीयं अणगार तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिण करेइ करित्ता वदइ णमसइ वदित्ता णमंसित्ता, एवं व्याप्तीधन्नेसि णं तुम देवाणुप्पिया | तब माणुस्सए जम्मजीवियफले जे णं तुम रज्ज व जाव अतेउर चावि छड्डयित्ता जाब विगा वइत्ता जाव पवइए । अहणं अहपणे अकय पुन्नं रज्जे जान अन्तेउरे य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए जाव अज्झा ववन्ने नो सवाएमि जाव पवइत्तए । त धन्नेसि णे तुम देवा शुप्पिया । जाव जीवियफले । तएणं से कंडरीए अणगार पुड रीयस्स एयमहणो आढाइ जाव सचिटइ । तएणं कटरीए पोंडएिणं दोच्चपि तच्चपि एव वुत्ते समाणे अकामए अवस्सवसे लज्जोए गारवेणय पोंडरीय राय आपुच्छइ, आपुच्छित्ता थराह सद्धि बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। सू०३॥
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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