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मूलम्-तेण कालेणं तेण समएण सव्वदेवाणं आसणाई चलंति समोसढा केवलमहिमं करेंति करित्ता जेणेव नदीसर० अट्टाहिय महामहिमं करेंति करिता जामेव दिस पाउ० परिसा णिग्गया कुभएवि निग्गच्छइ । तएणं ते जियसन्तूपा० छप्पिजेहपुत्ते रज्जे ठावेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरुस सब्बिड्डीए जेणेव मल्ली अ. जाव पन्जुवासति । तएणं मल्ली अ० तीसे महइ महालयाए० कुभगस्स तेसि चे जियसत्तू पान क्खाणं धम्म कहेइ । परिसा जामेव दिसी पाउन्भूया सामेव दिसि पडिगया। कुंभए समणोवासए जाए। पभावईय । तएणं जियसत्तूप्पा० छप्पिराया धम्म सोच्चा एव वयासी-आलिनेण कर दिया था तभी जाकर उन्हें इनकीप्राप्ति हुई यही यात " अपुवकरन अणुपविट्ठस्स, इन पदोंद्वारा प्रदर्शित की गई है। "अणते जाव" यहा जो "जाव" पद रखा गया है उससे "अनुत्तर नियाधातम् निरावरण , कृत्स्न, प्रतिपूर्ण ' इन पदों का ग्रहण किया गया है । ये दोनों अनत विपयों को जानते हैं और देखते है इसलिये ये अनत हैं। समस्त ज्ञान और दर्शनों में ये प्रधान है इमलिये अनुत्तर है । अप्रतिहत होने से ये दोनों निर्याघात, क्षायिक होने से निरावरण सर्वार्थ ग्राहक शेने से कृत्स्न, सकलांश युक्त होने से पूर्ण चन्द्र की तरह प्रतिपूर्ण कह गये है ॥ सन्न ३९ ॥
““ઉપર આરહણ કરી દીધું હતું ત્યારે જ તેમને એમની પ્રાપ્તિ થઈ હતી એ જ पात-" अपुव्वकरण अणुपक्रिस " 20 पटोप विपामा मावी छ " अण ते
आव" मही रे जाव' ५६ छ तनाथी अनुत्तर निर्व्याघात निरावरण, 'कृरस्ने, प्रतिपूर्ण, सापही अड ४२वामा साध्या छ २मा मनत विष ‘ચાને જાણે છે અને જુએ છે એટલા માટે તેઓ અનત છે સમસ્ત જ્ઞાન અને દર્શનેમાં તેઓ પ્રધાન છે એટલા માટે અનુત્તર છે અપ્રતિહત હવા બદલ આ અને નિર્ચાઘાત, સાયિક હોવાથી નિરાવરણ, સર્વાર્થ ગ્રાહક હેવાથી કૃr, સકલાશયુકત હેવાથી પૂર્ણ ચન્દ્રની જેમ પ્રતિપૂર્ણ કહેવામાં આવ્યા છે ૩૯