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________________ ४६६ wandered मूलम् तपण से कुभए राया इमसे कहाए लट्टे समाणे वलवाउयं सदावेइ, सदावित्ता एवं वयासी - खिप्पामेव० हय जाव सेण्णं सन्नाहेह जाव पच्चप्पिणइ, तपर्ण कुंभए पहाए सण्णजे हत्थिग्वध० सकोरट० सेयर चामराहि महया मिहिल मज्झमज्झेणं णिजाइ, णिचित्ता विदेहं जणवय मज्झमज्झेणं जेणेव देस अते तेणेव उवागच्छा, उवागच्छितो खधावरनिवेस करेइ, कृत्वा, जियस तूपामोक्खा छप्पियरायाणो पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे पडिचिट्ठ तण ते जियसत्तामोक्खा छप्पिय रायाणो जेणेत्र कुभए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता कुभएण रन्ना सद्धि सुपलग्गा यावि होत्या, तएण ते जियसत्तूपामोक्खा छप्पि रायाणो कुभय राय हयमहियपवरवीरघाइयनिविडियचि - धद्धयप्पडाग किच्छप्पाणोवगय दिसो दिसि पडिसेहिंति, तएण से कुभए जियसत्तूपामोक्खेहि छहि राईहि हयमहित जाव पडिसेहिए समाणे अस्थामे अबले अवीरिए जाव अधारणिजमितिकट्टु सिग्धतुरिय जाव वेइय जेणेव मिहिलातेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मिहिल अणुपविसित्ता मिहिलाए दुवाराइ पिहेइ, पिहित्ता रोहसज्जे चिट्ठइ ॥ सू०३३॥ टीका- ' तएण ' इत्यादि । ततस्तदनन्तर खलु स कुम्भको राजाऽस्या 'तएण से कुभए राया ' इत्यादि । टीकार्य - (तरण इसके बाद (से कुभए इमीसे कहाए लद्धडे समाणे बल 1 वरण से कु भएराया इत्यादि ॥ टीडार्थ - ( त एण) त्यार पछी ( से कुमए इमीसे कहाए लट्ठे समाणे मक f
SR No.009329
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size34 MB
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