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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका अ०८ अङ्गराजचरितनिरूपणम्
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अथवा-एकद्रव्यरूपाणा च भैपज्याना पथ्यानामाहारविशेषाणाम् अथवा द्रव्यस योगरूपाणाम् च वणस्य च काष्टस्य च आवग्णानाम्=अङ्गरसकादीना च प्रहरणाना च खड्गादिशस्त्राणा अन्येषा च बहूना पोतवहनमायोग्याणा = नौकायानोपनेयानां द्रव्याणा = स्थापनेन पोतवहन = नौकायान भरन्ति पूरयन्ति स्म । शोभने = शुभावहे, णय तणस्स य, कट्टस्स य आवरणाण य पहरणाण य अन्नेसिं च बहूण पोयवहणपाउरगाण दव्वाण पोयवहण भरेंति )
नौका यान में उन्हों ने चावलों को भरा, गेहुओ को भरा, गेहुओ के आटे को और आटे से निष्पन्न पक्वान्न विशेषको भरा । तैल, गुड घृत गोरस भरा पानी भरा पानी के वर्तनो को भरा । त्रिकुट आदि औषधियों को भरा पथ्याहार विशेष भैषज्यों को भरा, तृणों को भरा लकड़ियो को भग अगस्स आदि आवरणों को, खड्ग, आदि शस्त्रों को तथा और भी अनेक वस्तुओं को जो पोत वहन के योग्य थी भरा ।
इस तरह उन्हों ने इन समस्त वस्तुओं को, यथोचित स्थान पर स्थापित उस नौकायान को भर दिया । यहा पर जो औषध और भैषज्य ये दो शब्द प्रयुक्त हुए हैं उन से ऐसा भी अर्थ घोध होता है कि त्रिकूट आदि जो अलग २ द्रव्य है वे औषध और इन का समुदाय रूप जो द्रव्य है - जैसे चूर्ण आदि वह भैषज्य है । (4 पोयवरण पाउ ग्गाण पद का यह अर्थ है कि जो द्रव्य नौका द्वारा अच्छी तरह ढोयाजा सके वह सब उन्हो ने उस में भर दिया । ( सोहणसि तिहि करण रणाण य, पहरणाण य, अन्नॅसि च वहूण पोयवहणपाउरगाण दव्वाण पोयवहण भरेंति )
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તેમણે ચાખા, ઘઉં, ઘઉં નાલેટ તેમજ ઘઉંના લેટથી બનાવવામા આવેલુ पपुवान्न विशेष, तेल, गोज धी, गोरस, पाणी, पाणी लवाना वासो त्रिस्ट वगेरे औषधीओ, पथ्याहार विशेष लेषन्न्यो, यारो, साउडा, અગરસ વગેરે આવરણે, ખડગ વગેરે શઓ અને બીજીપણુ ઘણી વહાણુ મા લઇજવા ચેાગ્ય બધી વસ્તુએ વહાણુમા લાદી
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આ પ્રમાણે તેમણે બધી વસ્તુઓને યયાસ્થાને ગેાઠવીને વહાણુને સામા નથી ભરી દીધુ महीं पर लेपन्न्य' भने 'मोषध ' આ એ શબ્દ પ્રયુક્ત થયા છે તેથી અહીં આ પ્રમાણે પણુ અથ થાય છે કે ત્રિકુટ વગેરે જે જુદા જુદા દ્રવ્યેા છે તે ઔષધ અને આ બધાને એકઠા કરવા જેમકે यूथ वगैरे ते लैपन्न्य " पोयवद्दणपाउरगाण ” पहने ! अर्थ मा प्रभाहले छे કે જે દ્રવ્ય નૌકાવડે મારી રીતે લઇ જઈ શકાય તે મધુ તેમણે તેમા ભર્યું હતું