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शाताधर्मकथासूत्र करिता य कारवित्ता य एयमाणत्तिय पच्चप्पिणह, तएणं से मडुए राया दोच्चपि कोडवियपुरिसे सदावेड, सदावित्ता एवं वयासो-खियामेव भो । सेलगस्त रन्नो महत्व जाव निक्ख. मणाभिसेय जहेव मेहस्त तहेव, णरं पउमावतीदेवी अग्ग केसे पडिच्छइ । सच्चेव पडिग्गह गहाय सीय दुरूहति, अवसेस तहेव जाव सामाइयमाइयाइ एकारस अगाइं अहिज्जइ, अहिजित्ता वहूहि चउत्थ जाव विहरइ, तएण से सुए सेलयस्स अणगारस्त ताइ पथगपामोक्खाइ पच अणगारसयाइ सोसत्ताए वियरड, तएण से सुए अन्नया कयाई सेलगपुराओ नयराओसुभूमिभागाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिस्खमित्ता वहिया जणवयविहार विहरइ, तएण से सुए अणगारे अन्नया कयाइं तेणं अणगारसहस्सेण सद्धि सपरिवुडे पुवाणुपुषि चरमाणे गामाणुगाम विहरमाणे जेणेव पोडरीए पवए जाव सिद्धे ॥ सू० २८ ॥
'तएण से सेलए ' इत्यादि ।
टीका-तत स शैलको राजा मण्डूक राजानमापृच्छति, हे देवानुप्रिय ! अह दीक्षा ग्रहीप्यामीती । तत खलु स मण्डको राजा कोटुम्निमपुम्पान् आदेश कारिण पुरुपान् शब्दयति-आयति, शब्दयित्वा-आहूय एव वक्ष्यमाणप्रकारे
'तएण से सेलए राया' इत्यादि । टीकार्य-(तएण) इसके वाद (से सेलए राया) उस शैलक राजा ने (मडुय राय आपुच्छइ ) मडूक राजा से पूछा कहा कि हे देवानुप्रिय ! मैं दीक्षा सयम लूगा (तएण से महुए राया कोडबिय पुरिसे सद्दावेइ )
(तएण से सेलए राया ) त्यादि
A -(तएण, त्यो२ माह (से लएराया) से २०जये (मय राय आपु इ) भइ रामने उधु- वानुप्रिया दीक्षा -10 (तएण से मडुए राया कोडु वियपुरिसे सदावेद) ना२ ५० भडू, रानमे टुगि