________________
ज्ञाताधर्मकथासूत्रे
मूलम् — तएण से थावच्चापुते पुरिससहस्सेहि सद्धिं सयमेव पचमुट्टिय लोय करेइ जाव पव्त्रइए । तएण से थावचापुत्ते अणगारे जाते इरियासमिए भासासमिए जाव विहरइ, तएण से थावच्चापुत्ते अरहओ अरिहनेमिस्स तहारुवाणं थेराण अंतिए सामाइयमाइयाइ चउद्दस पुव्बाइ अहिज्जह, अहिज्जित्ता बहूहि जाव चउत्थेण विहरति ।
५०
तएण अरिहा अरिट्ठनेमी थावच्चापुत्तस्स अणगारस्त तं इभाइय अणगारसहस्तसीसत्ताए दलयइ, तएण से थावच्चापुते अन्नया कयाइ अरह अरिट्टनेमि वदइ नमसइ वदित्ता नमसित्ता एव वयासी- इच्छामि ण भते तुम्भेहि अभ गुन्नाउ समाणे सहस्सेण अणगारेण सद्भिवहिया जणवयविहार विहरितए, अहासुह देवाणुप्पि । तएण से थावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेणं सद्धि तेण उरालेणं उग्गेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं बहिया जणवयविहार विहारइ ॥ सू० १७ ॥
'तरण से थावच्चापुचे ' इत्यादि ।
टीका -- तत तदनन्तर खलु स स्थापत्यापुत्र पुरष महोग सार्धं स्वयमेव 'तरण से थावच्चा पुत्ते' इत्यादि ॥
टीकार्थ - (तरण) इसके बाद (से यावच्चा पुत्ते) उस स्थापत्या पुत्रने पुरिससहस्सेहिं सद्धि सयमेव पचमुहिय करेह ) उन एक हजार दीक्षित पुरुषो के साथ अपने केशोंका पचमुष्ठी लोच किया - ( जाव पव्वइए) यावत्
(तरण से थावच्चा पुत्ते ) त्याहि ॥
अर्थ - (तरण ) त्यारणा ( से थावच्चापुसे) स्थापत्या पुत्रे ( पुरिस सह सेहि सद्धि सयमेव पचमुट्ठिय लोय करेइ ) हीक्षा पाभेला मेड इनर पुरुषानी साथै पोताना वाजनु पाथ भुठी तुयन यु ( जाव पञ्चइए) अनेर