________________
७६८
ज्ञाताधर्मकथासूत्रे
मन्नस्स एवमाइक्खइ४ धन्नेण देवाप्पिया | पांदे मणियारे जस्स पदे मणियार जस्स ण इमेयारूवे नंदा पुक्खरणी चाउकोणा जाव पडिरुवा | जस्म णं पुरत्थिमिले वणसडे चित्तसभा' अणेगखभ० तहेव चत्तारि सहाओ जाव जम्पजीवियफले, तरणं तस्स दद्दरस्स त अभिक्खणं अभिक्खणं बहुजणस्स अतिए एयमह सोचा णिसम्म इमेयारूचे अज्झथिए५ - से कहिं मन्ने मए इमेया सद्दे णिमतपुत्रे तिकट्टु सुभेण परिणामेण जाव जाइसरणे समुपपन्ने, पुव्वजाइ सम्मं समागच्छइ, तएण तस्स दद्दुरस्त इमेयारूवे अज्झत्थिए ५ - एव खलु अह इहेव रायगिहे नयरे पादे णाम मणियारे अड्डे० जाव अपरिभूए । तेण कालेन तेण समएण समणे भगव महावीरे समोसढे, तपर्ण समणस्स भगवओ महावीरस्स अतिए पचाणुव्वइय सत्तसिक्खावइय जाव पडिवन्ने, तएण अह अन्नया कयाइ असाहुदसणेण य जाव मिच्छन्त विपडिवन्ने, तएण अह, अन्नया कयाई गिम्हकालसमयसि जाव उपसपजित्ताणं विहरामि एव जहेव चिता आपुच्छणा नदा पुक्खरिणी वणसडा सहाओ त चेव सव्व जाव नदाए पुक्खरिणीए ददुरत्ताए उत्रवन्ने त अहो ण अह अहन्ने अपुन्ने अकयपुन्ने निम्गंथाओ पावयणाओ नट्टे भट्ठे परिब्भट्टे त सेय खलु मम सयमेव पुव्व पडिवन्नाइ पचाणुव्वयाइ सत्तसिक्खात्रयाइ उवसपजित्ताण विहरित, एव सपेहेइ सहित्ता पुन्नपन्नाइ पचाणुव्वयाइ सत्तसिक्खावयाइ आरुहेइ आरुहित्ता इमेयारूत्र अभिग्गह