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________________ शाताधर्म कथाङ्गसूत्रे आन्मनैव 'समुन्वेवमाणे२' समुत्प्रेक्षमाणः२=पुन:पुननिरीक्षमाणः सर्वं यथा-स्थानं व्यापारयन्नित्यर्थः विहरति अवतिष्ठते ।मु० ४॥ ___ मूलम्-तस्सणं सेणियस्स रन्नो धारिणी नामं देवी होत्थो जाव सेणियस्स रपणो इट्रा जाव विहरइ ॥सू० ५॥ टीका-'तस्स गं' इत्यादि । तस्य खलु श्रेणिकस्य राज्ञा धारिणी नाम देवी-द्वितीया राज्ञी 'होत्या' आसीत् । सा कीदृशी ? इत्याह-'जाव' यावत्, यावच्छन्देन-'मुकुमालपाणिपाया अहीणपंचिंदियसरीरा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणमुजायसव्वंगमुंद रंगी ससिसोमागारा कंता पियदसणा मुख्वा करयलपरिमितिवलियमझा कोमुईरयणियरविमलपडिपुण्णसोमवयणा कुंडलुल्लिहियगंडलेहा सिंगारागारचामवेसा संगयगयहसियभणियविहियविलाससकलियसंलावनिउणजुत्तीवयारकुसला पासाईया दसणिज्जा अभिरूवा पडिस्वा' इति पाठस्य संग्रहः। मुकुमारपाणिपादा-सुकोमलकरचरणा, अहीनपञ्चेन्द्रियकरती हैं उस स्थान का नाम अन्तःपुर है। यहां जो "च" शब्द पडा है वह राज्य के और भी जो अनेक प्रकार होते हैं उन सबका सूचक है। ||४|| "तस्स णं सेणियस्स रन्नो इत्यादि.. टीकार्थ-(तस्स णं सेणिस्स रन्नो) उस श्रेणिक राजा के (धारिणीनामं देवी होत्था) धारिणी नाम की पटरानी थी। (जाव सेणिस्स रण्णो इट्टा जाब विहरई) यहां जो यह "यावत् शब्द का प्रयोग हुआ है वह रानी के स्वरूप वर्णनरूप इस पाठ को सूचित करता है-वह पाठान्तर इस प्रकार के है "सुकमालपाणिपाया अहीणपंचिदियसरीरा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणसृजायसव्यंगसुंदरंगी ससिसोमागारा कंता" आदि "इस का अर्थ इस तरह से है-रानी के दोनों हाथ और पैर विशेष નામ અન્તપુર છે. અહીં જે “ચ” શબ્દ આવેલ છે, તે રાજ્યના બીજી અનેક પ્રકારે હોય છે, તે બધાને સૂચક છેસૂત્ર ૪ "तस्स णं सेणियसस रन्नो इत्यादि-- --(तस्स णं सेणिस्स रन्नों)ते श्रेणुि AMD (धारिणी नोमं देवी होत्था) धाशिजीनामे पटणी ती. (जाव सेणिस्सरणों इद्रा जाब विहरइ) मही यावत्' શબ્દને પ્રવેશ થયેલ છે, તે રાણીના રૂપવર્ણન રૂપ જે આ પાઠાન્તર છે, તેને સૂચવે छ. ते पात२ मा प्रभारी छ-सुकुमालपाणिपाया अहीणपंचिंदियसरीरा लक्वणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणमुजायसवंगसुंदरंगी ससि सोमागारा कंना 'आदि' मान! म मा शते छीना हाथ ५७५ मन्ने
SR No.009328
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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