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माताधर्म कथाहर 'कदंबाफ शिव' का प्रमाणित, 'मनुस्तिकवे' लसुच्छिनरोमक्षःसमुच्छ्रिता रोषकापा यस्त्र सामाश्चिन इत्यनः, अमर्ष सगन्तं महावीर बन्दते नमत्यति बन्दित्वा पलका-'अजपनिणं अघप्रभृति ग्बल भने?' हे भवन्त ! मन को अच्छी णि' अभिणी योण कन्या 'असे' अवशेषः नेत्रातिरित्तः सकायो नया सणामा निधाना लिपि' नि:= अधीनी कृतः शिम इति मन्या इयुकाका पुनरपि अरूण गवत महावीर बन्दले नमग्यति बन्दिन्ना नचिका वाडीत-इच्छामि मनु है महन्त । इदानीं स्वयमेवमालान पर पाक द्वितीय नागपि स्वयम्साद् भवद्भिव उसने भगवान महावाग बनरका किया । (बंदित्ता नलसित्ता एवं दया) बनाना एक गण गान महावीर से इन सार ...लगा-(अलपी लिन अनछोणि लोतूण अगले सगर र नाम लियाण निरितिक मुमकि लरण भगव महावीर चंद नपाइ दिन नविता यानी) मात । आम से मैं अप करावा जोनी पिनन गण निग्रन्यो के अधीन करता है।
माम ले मागण गान वहावीर को दन की लार किया । प ET करके सिर कह इस प्रकार कहने लगा-(न्छा . यानि दोष से व पब्ध विडं जबरन मुजाउ जाव लयमेव जावारगोयरजायामाया बत्ति धाममाभित्र ) हे सदना समय अपनी आत्मा की प्रेरणा से पर की प्रेरणा से नहीं-द्वितिय कर दी सामान आपने ही दीक्षित श्रम लगवान महावीरने १६न अने वा२ वा२ नमः॥२ च्या (वंदित्ता नभलिता एव वाली ) १६न सने नमः॥२ ४ीन ते प्रमागवान महावीरने मा प्रमाणे वा साया. ( अ
! कम दो अच्छीणि मो तृणं अवसेने मार लणणं निग्गा निति ९ पुणराव समण भगव महावीर दई भगा दकित्ता समिकता क्याली)सत माया હું મારા આખા શરીરને ફકત બે આ સિવાય શણ નિશને અર્પણ કરું છું આમ કહીને ઘકુમારે શમણ ભગવાન મહાવીરને વદન કર્યા અને નમસ્કાર કર્યો पहन भने नमः॥२ पीने ज्य! (यागिक व्याणि सयः रेव दोधपि न पाविउ र बिउ मार रायले आयार गोवरजासानायालय
) GET | मत्यारे on માણસથી પ્રેરાઈને નહિ પણ પિતાના આત્માથી જ પ્રેરિત થઈને બીજી વાર પણ