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ज्ञाताधर्म कथासूत्रे
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गंभीरे' मध्ये नतगम्भीरे-मध्ये मध्यभागे नतं = किञ्चिन्नत्रीभूतं गम्भीरं निम्नं च तस्मिन् । 'गंगापुलिनवालुयाउदालसालिसए' गङ्गापुलिनवालुकावदालसदृश के - गङ्गानदीतटस्य या बालुकास्तासाम् अवदालः = पादन्यासेऽधोगमनं, तत्सदृश के = तदुपमे, यथा बालुकायां तथा तुलगर्भे शयनीयेऽपि पादन्या से निम्नोन्न तत्वं भवतीत्याशयः । ' उवचियग्योमदुगुलपट्टप डिच्छणे' उपचितक्षोमदुकूलपट्ट प्रतिच्छन्ने - उपचित= नानारागरञ्जित विविध चित्रालङ्कृतं यत् क्षौमं साम्प्रतिकजनस्यैककेशेन तन्तुशतं जायते तादृणसूक्ष्मकापोसतन्तुविनिर्मितं वखम्, दुक्कूलम् = अतसीमयं विशिष्टं वस्त्रं ताभ्यां सञ्जातः पट्ट: -शिल्पकलया सीवनेन युगलापेक्षकीकृतं शय्या परिमितं वस्त्रं 'खोल' इति भाषायां तेन प्रतिच्छन्ने उपर्यंध आवृते । 'अत्थर - मलय- नत्रतय- कुसत्त - लिम्बसीह के सरपच्चुत्थए' अस्तरजस्कदोनों ओर से कुछ २ ऊँची बनी हुई है । तथा (मज्ज्ञेयणगंभीरे) मध्य भाग में जो कुछ २ गहराई लिये हुए हैं (गगापुलिनवालुया उद्दालसालसए) गंगा नदी की वालुका की तरह पैर रखते ही जो नीचे की और कुछ थोडी २ घस जाती है (उचचियखोमदुगुहपहप डिच्छपणे ) अनेक रंगो से बनाये गये नाना प्रकार के चित्रों से अलंकृत क्षौम और कूल के पट्ट से ऊपर से लेकर नीचे तक जो ढकी हुई है। इस समय के मनुष्य के एक बाल से १०० तन्तु बनते है - ऐसे सूक्ष्म कार्पासिक तन्तु से बने हुए वस्त्र का नाम-क्षौम है। अलसी आदि से बने हुए वस्त्र का नाम दुकूल हैं । इन दोनों वस्त्रों को सीकर जो एक वस्त्र बना लिया जाता है उसका नाम पह है । हिन्दी में उसे खोल कहते हैं । यह शय्या पर ऊपर से नीचे तक लटकती हुई बिछी रहती है । (अत्थरय, मलय, नत्र तय-कुसत्ति - लिम्बसीह केसरपच्चुत्थए ) धूली विहीन यण गंभीरे) क्या लाग थी। डी (गंगापुलिनवालुया उद्दालसालसए) ગગા નદીની રેતીની જેમ પગ મૂકતાંની સાથે જ તે થાડી નીચે દમાઈ જાય છે આ प्रभाऐ येना उपर यत्र भृम्वार्थी से पशु हमाई लय है. (उत्रचिय खोम दुगुल्ल पट्टपडिच्छपणे) उपरथी नीचे सुधी ने लतन्नतना गोथी मनाववामां आवेलां અનેક પ્રકારના ચિત્રોથી શણગારેલા ક્ષોમ અને ફૂલના પટ્ટ (કપડા)થી ઢાંકેલી છે અત્યારના માણસના એક વાળથી સો (૧૦૦) તન્તુ બને છે, એવા ઝીણા રૂના તન્તુવડે બનાવવામાં આવેલા વસ્ત્રનું નામ ક્ક્ષોમ' છે. અળસી વગેરેથી બનાવવામાં આવેલા વસ્ત્રનું નામ દ્રુકુલ છે, આ બન્ને વચ્ચેાને સાથે સીવીને જે એક જાતનું વજ્ર તૈયાર કર માં આવે છે, તેનું નામ પટ્ટ' છે. ગુજરાતી ભાષામાં એને चोणियु" हे . मा (अत्थरय, मलय, नत्रतय, कुसत्त, लिम्बसीह
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