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प्रमेयचन्द्रिका टीक्षा श०४१ ७.१ राशियुग्मनिरूपणम् संयममपि उपजीवन्ति से मनुष्या तथा-आत्मनोऽयशः असंयममपि उपजीवन्तीति 'नइ आयजसं उदजीपंक्ति किसलेस्सा अलेस्सा' यदि से मनुष्या आत्मपशा आत्मनः संयममुपजीवति तदा किं ते सश्या लेण्यासहिताः किंवा अश्या:ले. या रहिता वा भवन्तीति मनः। भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'सलेस्सा वि अलेस्सा वि' सलेश्या अपि भवन्नि अलेश्या:-लेश्यारहिता अपि भवन्ति । 'जइ अलेस्सा कि सकिरिया अकिरिया' यदि सलेश्या भरन्ति तदा किं ते मनुष्याः सक्रिया भवन्ति अक्रिया:-क्रियारहिता वा भवन्तीति भन्नः, भगवानाह-गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'नो सकिरिया अकिरिया नो सक्रिया भवन्ति, किन्तु अक्रिया भवन्तीति । 'जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव अंतं करेंति' यदि ते मनुष्याः अक्रियाः तदा किं तेनैव भवग्रहणेन आश्रय करते हैं ? 'गोयमा ! आयजल घिउवजीवंति आय अजसपि उघजीवंति' हे गौतम ! वे आत्म संयमका भी आश्रय कारते हैं और आत्म असंघम का भी आश्रय करते हैं। 'जह आयजसं उदजीचंति कि सलेस्सा अस्ला ' हे भदन्त ! यदि वे आत्म संयम का आश्रय करते हैं तो क्या वे सलेश्य होले हैं अथवा अलेश्य होते हैं ? 'गोयला! लस्सा चि अलेस्सा बिहे गौतम ! वे सलेश्य भी होते हैं और अलेख्य भी होते हैं । 'जइ अरसा कि मििरया, अफिरिया' यदि वे अलेश्य होते हैं तो ये क्या क्रिया सहित होते हैं ? अथवा त्रिया रहित होते हैं ? उत्तर में मुश्री कहते हैं-'गोयमानो सझिरिया अकिरिया के सक्रिय नहीं होते हैं किन्तु अक्रिय होते हैं। 'जह अफिरिया तेणेव भवरगहणेणं सिज्झति जाव अंत करेंति' हे भदन्त ! यदि वे अक्रिय होते हैं तो क्या चे उस्ली भवसे सिद्धिक होते हैं यावत् अन्त करते हैं ? यहां यावत् असुश्री छे -'गोयमा! आयजस'वि उवजीवति आय अजस वि वजीवतिः હે ગૌતમ! તેઓ આત્મ સંયમને પણ આશ્રય કરે છે. અને माम मसयभनी पर माश्रय ४२ . 'जइ आयजसं उवजीवत्ति किं सलेस्सा अलेस्सा' सगवन ने तो माम सयानी माय ४२ छ, ती શું તેઓ લેશ્યાવાળા હેય છે? અથવા લેણ્યા વિનાના હેય છે ? ઉત્તરમાં प्रमुधी ४ छ 'गोयमा ! सलेस्सा वि अलेस्सा वि' गौतम! तगासेश्या पण ५ खाय छ, भने स्याविनाना ५५ सय . 'जह अलेसा किं सकिरिया अकिरिया' ने तमे। अश्याविनाना य थे,है। शुEAL दिन डाय ? या विनानाय छे ? उत्तरमा अनुश्री छे -'गोयमा! नो सहिरिया अकिरिया' तसे लिया तो नधी या माि -य! विनाना यछ. 'जइ अकिरिया तेणेव भवगाहणेण सिन्हा ति जाव बनकरेति' હે લાગવત્ જે તેઓ કિયા વિનાના હોય છે, તે શું તેઓ એજ ભવમાં
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