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________________ नववे से बारहवें पर्यन्त के उद्देशों का कथन २२. अभवसिद्धिक नैरपिकों के एवं कुष्णादि लेण्या- . - - युक्त लैरपिकों के उपपात आदि का कथन २१८-२१९ तेरहवें से सोलह पर्यन्त के उद्देशकों का कथन . २३ : कृष्णादि लेश्यायुक्त सम्पष्टि नारकों के चार उदेशों द्वारा उत्पत्ति आदि का कथन २२०-२२२ सत्तर से वीसवें पर्यन्त के उद्देशकों का कथन २४ कृष्णादि चार लेश्यायुक्त मिथ्याष्टि २. नारकों के चार उद्देशकों द्वारा कथन , २२३- .. १९ से २४ पर्यन्त के चार उद्देशक का कथन २५ कृष्णादि लेश्यायुक्त कृष्णपाक्षिक नैरपिकों ....... के उत्पत्ति आदि का चार उद्देशक द्वारा कथन २२४ २५ से २८ पर्यन्त के चार उद्देशकों का कथन २६ कृष्णादि चार लेश्यायुक्त शुक्लपाक्षिक क्षुल्लक .... कृतयुग्म नैरयिकों का चार उद्देशक से कथन २२५-२२७ बत्तीसवां शतक का प्रथम उद्देशक २५. १. नारकादि जीवों की उद्वर्त्तना का निरूपण २२८-२३५ । दूसरे उद्देशक से २८ पर्यन्त के उद्देशक का कथन 34... कृष्णलेश्यावाले कृतयुग्म नैरयिक आदि के उद्देशकों के निर्देशपूर्वक कथन :: २३६-२३८ तेतीसवें शतक का प्रथम उद्देशक __ २९ एकेन्द्रिय जीवों का निरूपण २३९-२५५ 'दूसरा उद्देशक ___३१ : अनन्तरोपपन्नक एकेन्द्रिय जीवों का निरूपण " २१६-२६५ तीसरा उद्देशक प्रथम अवान्तर शतक ३१ परंपरोपपन्नक एकेन्द्रिय से अचरम पर्यन्त के । । __एकेन्द्रियों का निरूपण ...२६६-२७२
SR No.009327
Book TitleBhagwati Sutra Part 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages812
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size54 MB
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