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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०३४ अ. श. १ सू०२ विग्रहगत्योत्पातनि०
कृत्वा यो भन्यो मनुष्यक्षेत्रे अपर्याप्तवादरतेजस्कायिकता - तेजस्कायिकरूपेणोत्यत्तुम् - से णं भंते ! कइ समइएणं' स खलु भदन्त ! कतिसामयिकेन विग्रहेणे उत्पद्यतेति प्रश्नः । उत्तरमाह - 'सेस' इत्यादि । 'सेसं तं चेत्र' शेष' प्रश्नव्यतिरिक्तम् उत्तरं सर्वमपि तदेव अपर्याप्तसूक्ष्मपृथिवीकायिकमकरणकथितमेव । 'एवं पज्जत्त वायर ते उकाइयत्ताए वि उववाएयन्या' एवं पर्याप्तवादरतेजस्कायिकतयाऽपि उपपातयितव्याः । यथा अपर्याप्तवादर तेजस्कायिकस्य मनुष्यक्षेत्रे समवहतस्यापर्याप्त वादरतेजस्कायिकरूपेण उपषातो दर्शित स्तथैवापर्याप्तवादर तेजस्कायिकस्य मनुष्यक्षेत्रसमवहतस्य पर्याप्तवादरतेजस्कायिकरूपेणाSपि उपपातो वक्तव्यः प्रक्रिया पूर्ववदेवोहनीयेति भाव: । 'वाउकाइयत्ताए य 'जे भविए मणुस्खे से अपज्जन्त बायरते उकाहसाए उववज्जिन्तर' और मरकर वह मनुष्य क्षेत्र में ही अपर्याप्त बादरले जस्कायिक रूप से उत्पन्न होने के योग्य हुआ तो 'से णं भंते! कसम एणं०' हे भदन्त ! वह कितने समघवाले विग्रह से वहां उत्पन्न होता है ? उत्तर में प्रभुश्री गौतमस्वामी से कहते हैं - 'सेसं तंचेव' हे गौतम! इस सम्बन्ध में उत्तर रूप लप कथन अपर्याप्त सूक्ष्मपृथिवीकायिक के प्रकरण में कहे अनुसार ही समझना चाहिए । 'एवं पज्जन्तघाघर तेउकाइयत्ताए बि उवचारयन्बो' जिस प्रकार से मनुष्यक्षेत्र में समवहत अपर्याप्त पादरतेजस्कायिकका अपर्याप्त बादरतेजस्कायिक रूप से मनुष्यक्षेत्र में उपपात दिखाया है, उसी प्रकार से मनुष्धक्षेत्र में समवहत अपर्याप्त बादतेजस्कायिकका पर्याप्त बादरतेजस्काधिक रूप से भी उपपात कह लेना चाहिये । इस सम्बन्ध में प्रक्रिया पूर्व के जैसी ही उद्भावित कर लेनी
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भवि मणुस्खेत्ते अपज्जत्त नायर देउकाइयत्ताए उववज्जित्तए' ने भरीने ते મનુષ્ય ક્ષેત્રમાં જ અપર્યાપ્ત દર તેજસ્કાયિકપણાથી ઉત્પન્ન થવાને ચેાગ્ય થયે होय ते 'सेण भंते! कइ समइएण ' डे भगवन्ते वा समयवाजी विश्रड गतिथी त्यां उत्पन्न थाय छे ? मा प्रश्नना उत्तरमा अनुश्री - 'सेंस त' चेव' हे गौतम! या सभ्णन्धमा उपयात ३५ सघणु उथन अपर्याप्त સૂક્ષ્મ પૃથ્વિીકાયિકના પ્રકરણમાં કહ્યા પ્રમાણે જ સમજવુ,
'एष ं पज्जत्त वायरसेकाइयत्ताए वि उदवाएयन्त्रो' ने अभाये मनुष्य ક્ષેત્રમાં સમહત અપર્યાપ્ત ખાદર તેજસ્કાયિકના ઉપપાત અપર્યંસ ખાદર તેજÆાયિકપણાથી ખતાવેલ છે, એજ પ્રમાણે મનુષ્ય ક્ષેત્રમાં સમત અપર્યાપ્ત ખાદર તેજસ્કાયિકના ઉપપાત-પર્યાપ્ત બાદર તેજસ્કાયિક પણાથી