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________________ २७६ भगवती अथ द्वितीयमेकेन्द्रियशतम् अथ यस्त्रिंशत्तमे शते प्रथमशतं व्याख्याय क्रममाप्तं द्वितीय शतमारभते, तस्येदं सूत्रम् 'कविहाणं भंते' इत्यादि । मूलम् - इविहाणं भंते! कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नत्ता । तं जहापुढवीकाइया जाव - वणस्सइकाइया । कण्हलेस्सा णं भंते ! पुढवाइया कइविहा पन्नत्ता ? गोयना ! दुविहा पन्नत्ता | तं जहा - सुहुमपुढवीकाइया व वायरपुढवीकाइया य । कण्ह -- लेस्साणं भंते! सुमपुढवीकाइया कइ विहा पन्नत्ता ? गोयमा ! एवं एएणं अभिलावेणं चउक्क भेओ जहेव ओहि उद्देसए जॉव वर्णस्सइकाइयति । कण्हलेस्ला अपनत्तसु हुमपुढवीकाइया णं भंते! कइकम्सपगडीओ पन्नताओ ? एवं चेव एएणं अभिलावेणं जहेव-ओहि उद्देस तव पन्नताओ तहेव वेदेति सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति कइविहाणं भंते! अनंतशेववन्नग कण्हलेस्ल एगिंदिया पन्नता ? गोयमा ! पंचविहा अतरोत्रवन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया | एवं एएणं अभिलावेणं तहेब दुपयो भेओ जाव वणस्स इकाइयन्ति । अणंतरोववन्नग कण्हलेस्स सुहुमपुढवीकाइयाणं भंते! कइकम्मपगडीओ पन्नत्ताओ ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा - ओहिओ अनंतशेववन्नगाणं उद्देसओ तहेव जाव वेदति । सेवं भंते ! सेवं भंते! ति । कड़वा भंते! परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नत्ता ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नता । तं जहा - पुढवीकाइया० एवं एएणं अभिलावेणं तदेव उक्कओ भेओ जाव वणस्सइकाइयन्ति ।
SR No.009327
Book TitleBhagwati Sutra Part 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1972
Total Pages812
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size54 MB
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